अखिलेश यादव (फोटो फाइल)
UP Politics: उत्तर प्रदेश में संसद के चल रहे मानसून सत्र के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव भाजपा को तमाम ज्वलंत मुद्दों पर लगातार घेर रहे हैं. सोमवार को पहले दिन ही सपा ने सत्र के दौरान हंगामा किया तो वहीं दिल्ली अध्यादेश विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया. इसके बाद अखिलेश यादव ने उस मुद्दे को उठाते हुए भाजपा पर अपना सवाल दागा है.
‘दिल्ली अध्यादेश’ पर जनता की तरफ़ से हमारा भाजपा से सिर्फ़ एक सवाल है : अगर दिल्ली में भाजपा की सरकार होती तो क्या भाजपा ये अध्यादेश लाती?
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 7, 2023
अखिलेश यादव ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल जो कि अब एक्स है, पर ट्वीट कर कहा है कि, ‘दिल्ली अध्यादेश’ पर जनता की तरफ़ से हमारा भाजपा से सिर्फ एक सवाल है. इसके बाद उन्होंने सवाल लिखा है कि,” अगर दिल्ली में भाजपा की सरकार होती तो क्या भाजपा ये अध्यादेश लाती?” मालूम हो कि इस विधेयक के खिलाफ कांग्रेस और आप सहित सभी विपक्षी दल हैं. राज्यसभा में कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने भी इस विधेयक का विरोध किया है और कहा है कि, यह शक्तियों पर निर्बाध कब्जा है, यह एक टेकओवर है. उन्होंने यहां तक कहा है कि, “इसका एक उद्देश्य अधिकारियों को डराना है.” बता दें कि इससे पहले ये बिल लोकसभा में भी पेश हो चुका है और इस बिल के खिलाफ लगातार आम आदमी पार्टी और कांग्रेस है और इस मुद्दे को दोनों राजनीतिक दलों ने उठाया है. तो अब इस पर अखिलेश यादव ने भी खुलकर अपनी बात रखी है और सवाल खड़े किए हैं.
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केंद्रीय गृह मंत्री ने पेश किया था विधेयक
बता दें कि, सोमवार की दोपहर को राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक’ पेश किया था. तो वहीं दिल्ली सर्विस बिल को लेकर राज्यसभा में बोलते हुए राघव चड्डा गृहमंत्री से नेहरूवादी न बनने के लिए कहा और बोले कि आडवाणीवादी बनिए. इसी के साथ दिल्ली अध्यादेश पर बोलते हुए राघव चड्ढा ने दावा किया कि, इससे ज्यादा असंवैधानिक बिल भारत में पहले कभी नहीं आया होगा. इसी के साथ उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि, ये बिल इसलिए लाया जा रहा है कि दिल्ली सरकार की शक्ति को ध्वस्त किया जाए. इसी के साथ उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि यह विधेयक इसलिए लाया जा रहा है क्योंकि पिछले 25 सालों से बीजेपी दिल्ली विधानसभा चुनाव नहीं जीती है. उन्होंने आगे कहा कि खासतौर पर 2013 के बाद अरविंद केजरीवाल से भाजपा बुरी तरह हारी थी. वह आगे बोले कि देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए सभी राजनीतिक दल एक साथ आएंगे.
-भारत एक्सप्रेस