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Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 के लिए बेहद नाजुक है आज का दिन, अलग होगा प्रोपल्शन माड्यूल, जानिए क्या है लैंडर का अगला पड़ाव

चंद्रयान 3 मिशन आज अपने एक बेहद ही महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच गया है. चांद से अब बहुत ही कम दूरी बची है. इसरो ने चंद्रयान को 153×163 किलोमीटर की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है.

चंद्रयान 3 के लिए आज अहम दिन

चंद्रयान 3 मिशन आज अपने एक बेहद ही महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच गया है. चांद से अब बहुत ही कम दूरी बची है. इसरो ने चंद्रयान को 153×163 किलोमीटर की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है. इसी के साथ ही चंद्रयान 3 की चंद्रमा की सीमा में पहुंचने की सारी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं. अब चंद्रयान के प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर अलग होने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. जिसे आज यानी कि 17 अगस्त अलग किया जाएगा.

चंद्रयान-3 से अलग होगा प्रोपल्शन माड्यूल

चंद्रयान के प्रोपल्शन माड्यूल और लैंडर के अलग होने की प्रक्रिया बहुत ही नाजुक है. इसलिए इसरो के साथ ही देशवासी दुआएं कर रहे हैं कि लैंडर और प्रोपल्शन माड्यूल सुरक्षित तरीके से अलग हो जाएं. प्रोप्लशन से अलग होने के बाद लैंडर अपनी प्रारंभिक जांच करेगा. वहीं इसरो की तरफ से जानकारी दी गई कि लैंडर में मुख्य रूप से चार थ्रस्टर्स हैं. ये लैंडर को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग में मदद करेंगे.

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क्या होते हैं प्रोपल्शन और लैंडर माड्यूल ?

चंद्रयान-3 में एक प्रोपल्शन माड्यूल है. जिसका वजन 2 हजार 148 किलोग्राम है. प्रोपल्शन का मुख्य काम लैंडर को चंद्रमा के पास लेकर जाने का था. लैंडर अब चंद्रमा की कक्षा मे प्रवेश करने वाला है. ऐसे में प्रोपल्शन को अलग किया जाएगा. लैंडर का वजन 1, 723 किलोग्राम है. जिसमें एक रोवर भी शामिल है. रोवर का अपना वजन 26 किलो है. चंद्रयान-3 का उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारना है. इससे पहले लैंडर को डीबूस्ट से गुजरने की उम्मीद की जा रही है. ताकि इसे एक ऐसी कक्षा में स्थापित किया जा सके, जहां पेरिल्यून 30 किलोमीटर और अपोल्यून 100 किलोमीटर है.

-भारत एक्सप्रेस



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