संगीत परंपराओं का अनूठा प्रदर्शन
दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. 9 सिंतबर को शुरू हुए इस सम्मेलन का आज (10 सिंतबर) दूसरा दिन है. पहले दिन भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरफ से सभी मेहमानों के लिए डिनर आयोजित किया गया. जिसमें दुनिया के कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष और मंत्रियों के अलावा ब्यूरोक्रेट्स, बिजनेसमैन और अन्य हस्तियां शामिल हुईं. भारत ने मेहमाननवाजी में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. लजीज व्यंजनों को परोसने के साथ ही पूरे माहौल को संगीतमय बनाने के लिए सुरों की महफिल सजी.
पारंपरिक संगीतों ने बांधा समां
रात्रिभोज कार्यक्रम में भारत ने दुनिया के सामने अपनी विविध संगीत विरासत का प्रदर्शन किया. इसमें पूरे देश के पारंपरिक संगीतों के सुर सुनाई दिए. जिसे सुनकर विदेशी मेहमान मंत्रमुग्ध हुए. इस पारंपरिक संगीत कार्यक्रम में मुख्य आकर्षण ‘गंधर्व अटोद्यम’ था. यह एक अद्वितीय संगीतमय मिश्रण है जिसमें पूरे भारत के संगीत वाद्ययंत्रों की एक उत्कृष्ट सिम्फनी शामिल है. जो शास्त्रीय वाद्ययंत्रों के समूह के साथ हिंदुस्तानी, लोक और समकालीन संगीत का प्रदर्शन करती है.
रात्रिभोज कार्यक्रम के दौरान आयोजित किए गए पारंपरिक संगीत कार्यक्रम में पूरे देश के अलग-अलग सांस्कृतिक विरासत और विविधता को प्रदर्शित करने वाले गानों को गाया गया. जिसमें-
हिंदुस्तानी संगीत: राग दरबारी कांदा और काफ़ी-खेलत होरी
लोक संगीत: राजस्थान – केसरिया बालम, घूमर और निम्बुरा निम्बुरा
कर्नाटक संगीत: राग मोहनम – स्वागतम कृष्ण
लोक संगीत: कश्मीर, सिक्किम और मेघालय – बोम्रू बोम्रू
हिंदुस्तानी संगीत: राग देश और एकला चलो रे
लोक संगीत: महाराष्ट्र – अबीर गुलाल (अभंग), रेशमा चारे घानी (लावनी), गजर (वारकरी)
कर्नाटक संगीत: राग मध्यमावती – लक्ष्मी बरम्मा
लोक संगीत: गुजरात- मोरबानी और रामदेव पीयर हेलो
पारंपरिक और भक्ति संगीत: पश्चिम बंगाल – भटियाली और अच्युतम केशवम (भजन)
लोक संगीत: कर्नाटक – मदु मेकम कन्नै, कावेरी चिंदु और आद पम्बे
भक्ति संगीत: श्री राम चंद्र कृपालु, वैष्णव जन और रघुपति राघव
हिंदुस्तानी, कर्नाटक और लोक संगीत: राग भैरवी- दादरा, मिले सुर मेरा तुम्हारा
दुर्लभ वाद्ययंत्रों को शामिल किया गया
इस दौरान संगीत व्यवस्था में बेमिसाल हमारी संगीत विरासत को प्रदर्शित करने वाले विभिन्न दुर्लभ वाद्ययंत्रों को शामिल किया गया. इन वाद्ययंत्रों में सुरसिंगार, मोहन वीणा, जलतरंग, जोडिया पावा, धंगाली, दिलरुबा, सारंगी, कमाइचा, मट्टा कोकिला वीणा, नलतरंग, तुंगबुक, पखावज, रबाब, रावणहत्था, थाल दाना, रुद्र वीणा शामिल हैं.
-भारत एक्सप्रेस