OBC Politics: देश की राजनीति में आज के वक्त में विपक्षी दलों ने जो सबसे बड़ा मुद्दा बना रखा है, वो जातिगत जनगणना का है. कांग्रेस पार्टी भी इसका पूर्णतः समर्थन कर रही है क्योंकि उसकी प्लानिंग देश के राजनीतिक समीकरणों में अपने हक में ओबीसी वोटबैंक को लाना है. कांग्रेस पार्टी ओबीसी वोट बैंक को ही हासिल करने के लिए लंबे वक्त से पीएम मोदी को घेर रही है लेकिन उसके काम खुद उसकी पोल खोल देते हैं. कुछ ऐसा ही उसके प्रत्याशियों की पहली लिस्ट देखकर लगता है.
दरअसल, पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस पार्टी ने नवरात्र के पहले दिन मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और तेलंगाना चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट से ही उसके ओबीसी छलावे के संकेत मिल रहे हैं, क्योंकि आबादी के अनुसार हिस्सेदारी की बात करने वाली कांग्रेस के प्रत्याशियों की लिस्ट में 50 फीसदी लोग भी ओबीसी नहीं हैं.
ओबीसी को दी कितनी हिस्सेदारी?
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बता दें कि कांग्रेस ने अब तक मध्य प्रदेश में 144, छत्तीसगढ़ में 30 और तेलंगाना में 55 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है. बता दें कि एमपी में पार्टी ने 39, छत्तीसघड़ में 9 और तेलंगाना में महज 12 ओबीसी प्रत्याशी उतारे हैं. तीनों राज्यों के प्रत्याशियों को जोड़ भी दें तो 229 उम्मीदवारों की लिस्ट में केवल 60 ओबीसी उम्मीदवार हैं जो कि महज 26.20 प्रतिशत हैं. बता दें कि एमपी में यह आंकड़ा 27, तेलंगाना में 21 और छत्तीसगढ़ में यह आंकड़ा 30 प्रतिशत रहा है.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने महिला आरक्षण के मुद्दे पर संसद में चर्चा के दौरान यह मांग की थी कि देश के ओबीसी वर्ग को भी आरक्षण मिले, लेकिन जब बात अपनी पार्टी द्वारा अपनाने की बात आई तो राहुल की पार्टी 50 फीसदी ओबीसी प्रत्याशियों को भी टिकट नहीं दे पाई.
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कांग्रेस ने बनाया कानून का बहाना
ओबीसी प्रत्याशियों की संख्या में कमी दिखने पर जब कांग्रेस से सवाल पूछा गया तो पार्टी का कहना है कि उसने इस मामले में काफी कोशिश की है और ओबीसी वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की मंशा दिखाई है. पार्टी का कहना है कि सही तरीके से कानून आने पर उनके लिए ओबीसी आरक्षण के आधार पर टिकट वितरण करना आसान होगा.
-भारत एक्सप्रेस
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