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Rajasthan Election: बीजेपी में शामिल हुए मेवाड़ राजघराने के राजकुमार विश्वराज सिंह, भवानी सिंह कालवी ने भी ली सदस्यता

राजस्थान में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. 25 नवंबर को मतदान होगा. जिसको लेकर सभी पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में जुटी हुई हैं.

विश्वराज सिंह ने बीजेपी का दामन थामा

विश्वराज सिंह ने बीजेपी का दामन थामा

राजस्थान में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. 25 नवंबर को मतदान होगा. जिसको लेकर सभी पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में जुटी हुई हैं. चुनावी रणनीति बनाने के साथ ही दूसरे दलों में सेंधमारी की कोशिश भी जोर-शोर से चल रही है. इसी बीच महाराणा प्रताप के वंशज और मेवाड़ राजघराने के राजकुमार विश्वराज सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. इसके अलावा भवानी सिंह कालवी ने भी भाजपा की सदस्यता ली. कालवी के पिता करणी सेना के अध्यक्ष रहे हैं.

मेवाड़ राजघराने के राजकुमार बीजेपी में शामिल

दोनों नेताओं के पार्टी में शामिल होने पर राजस्थान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आज विश्वराज सिंह पार्टी में शामिल हुए हैं. वे वीर महाराणा प्रताप के वंशज हैं. इसके अलावा भवानी सिंह कालवी के पिता करणी सेना के अध्यक्ष रह चुके हैं. दोनों लोगों को केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता दिलाई गई.

केंद्रीय मंत्री ने दिलाई पार्टी की सदस्यता

वहीं केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि बीजेपी में शामिल हुए इन दोनों नेताओं का राजस्थान में बड़ा अहम योगदान रहने वाला है. भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने में राजस्थान भी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा. राजस्थान के विकास की रफ्तार को बल मिलेगा. डबल इंजन की सरकार आने से प्रदेश प्रगति के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ेगा.

एक खिलाड़ी के रूप में काम करूंगा- कालवी

बीजेपी की सदस्यता लेने के लिए भवानी सिंह कालवी ने कहा कि ” भाजपा जो भी एक टीम के नाते मुझे बताएगी, उसे टीम के एक खिलाड़ी के तौर पर मिलकर पूरा करेंगे. चुनाव को जीतने लिए कड़ी मेहनत की जाएगी.” विश्वराज सिंह ने कहा कि “मेरे पूर्वजों ने हमेशा से समाज की भलाई के लिए काम किया. इसी सोच के साथ आज बीजेपी में शामिल हुआ हूं.”

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बता दें कि राजस्थान में 200 विधानसभा सीटें हैं. जहां पर पहले 25 नवंबर को मतदान होगा. पहले वोटिंग के लिए 23 तारीख की घोषणा चुनाव आयोग ने की थी, लेकिन 23 तारीख को देवोत्थान एकादशी है. इस वजह से बड़ी संख्या में विवाह समारोह और मांगलिक और धार्मिक उत्सव होते हैं. ऐसे में लोगों को होने वाली असुविधा को देखते हुए ये फैसला लिया गया.

-भारत एक्सप्रेस



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