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Lok Sabha Election 2024: काशी में संत समाज ने चुनावों में समर्थन के लिए राजनीतिक दलों के सामने रखा 9 सूत्रीय एजेंडा, ‘लव जिहाद’ शामिल

Varanasi: संस्कृति संसद में देश के 400 जिलों से आये करीब 1200 सनातन धर्मावलंबियों ने अपना एकमत देते हुए कहा कि जो भी राजनीतिक दल हमारी मांगों को मानेगा, उनको साधु- सन्तों का आशीर्वाद आगामी लोकसभा चुनाव में मिलेगा.

काशी में संस्कृति संसद ने सनातन एजेंडा घोषित किया

सौरभ अग्रवाल

Lok Sabha Election-2024: काशी में संस्कृति संसद के आखिरी दिन सनातन एजेंडा घोषित किया गया. विश्व हिंदू परिषद, अखिल भारतीय सन्त समिति, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और काशी विद्वत परिषद ने निर्णय लेते हुए 9 सूत्रीय मांगों पर सहमति बनी. सनातन एजेंडे के 9 सूत्रीय मांगों को आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में सभी राजनीतिक पार्टियों के सामने रखा जाएगा. संस्कृति संसद में देश के 400 जिलों से आये करीब 1200 सनातन धर्मावलंबियों ने अपना एकमत देते हुए कहा कि जो भी राजनीतिक दल हमारी मांगों को मानेगा, उनको साधु- सन्तों का आशीर्वाद आगामी लोकसभा चुनाव में मिलेगा.

इस सम्बंध में आलोक कुमार, अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष, विश्व हिन्दू परिषद ने कहा कि, सनातन धर्मावलंबियों ने अपने 9 सूत्रीय मांगों की सूची जारी कर दी है. इसमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 में संशोधन कर शैक्षिक और सांस्कृतिक संस्थानों को स्थापित करने का अधिकार, वक्फ बोर्ड के अधिकार वापस लिए जाएं, अभी जो मन्दिर दूसरो धर्मों के पास है उसे हिन्दू धर्म को वापस करने का कानून बनाया जाए. लव जिहाद और अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून बनाया जाए, समान नागरिक संहिता कानून को जल्द लागू करने, धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों आरक्षण न मिले, पुजारियों को मानदेय, साधु-संत प्राधिकरण और तीर्थ स्थलों को पर्यटन मंत्रालय से अलग करने की मांग की गई है.

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बता दें कि संस्कृति संसद में पांच प्रमुख संगठनों- विश्व हिन्दू परिषद्, अखिल भारतीय सन्त समिति, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद्, गंगा महासभा और श्रीकाशी विद्वत परिषद् के प्रतिनिधि शामिल हुए. इस मौके पर महन्त रवीन्द्र पुरी, स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती, आलोक कुमार, गोविंन्द शर्मा, प्रो. रामनारायण द्विवेदी आदि मौजूद रहे और उन्होंने कहा कि देश के सभी राजनीतिक दल आम चुनाव 2024 से पूर्व सनातन हिन्दू आकांक्षाओं के बारे में अपना मंतव्य स्पष्ट करें.

नौ सूत्रीय हिन्दू एजेंडा के मुख्य बिन्दु इस प्रकार हैं

1. भारतीय संविधान की धारा 30 में संशोधन कर भारत के प्रत्येक सम्प्रदाय को शैक्षिक और सांस्कृतिक संस्थानों को स्थापित एवं सञ्चालित करने के समान अधिकार दिये जाएँ. प्रत्येक शिक्षण संस्थाओं को अपने पाठ्यक्रम निर्माण और संचालन की स्वायत्तता अनिवार्य रूप से मिलनी चाहिए.

2. वक्फ एक्ट 1995 को निरस्त किया जाए अथवा उसमें वक्फ बोर्ड द्वारा किसी भी संपत्ति को वक्फ सम्पत्ति घोषित करने का अधिकार वापस लिया जाए. सम्पत्ति का अधिकार और प्रक्रिया सब सम्प्रदायों के जैसी ही और उतनी ही मुसलमानों को भी रहे.

3. संघीय कानून बनाकर हिन्दू मन्दिरों को हिन्दू समाज को वापस दिया जाए.

4. पर्यटन मंत्रालय से अलग तीर्थाटन मन्त्रालय बनाकर तीर्थों का शास्त्रीय मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए विकास किया जाए. तीर्थ स्थलों की शुद्धता और वहां के पर्यावरण के संरक्षण के लिए यह आवश्यक है.

5. लव जिहाद एवं अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए प्रभावी कानून बने. यह इस समय की अनिवार्य आवश्यकता है. लव जिहाद और इसके माध्यम से होने वाले धर्मांतरण के साथ सबसे बड़ी समस्या हिंसा की उत्पन्न हो चुकी है. हजारों मामले सामने आ चुके हैं जिनमें हिंदू बेटियो को धर्मांतरित कर विवाह किया गया और कुछ ही दिनों में उनकी हत्या कर दी गई. किसी भी दशा में धर्मांतरण कर विवाह की अनुमति नहीं होनी चाहिए. केवल विवाह के लिए धर्मांतरण रोकने के लिए प्रभावी कानून बनाया जाना अनिवार्य है.

6. भारत का प्रत्येक नागरिक बराबर है. देश में समान नागरिक संहिता लागू की जाए. एक राष्ट्र, एक नागरिकता, एक कानून लागू हो.

7. धर्मांतरित लोगों को जनजाति आरक्षण के दायरे से बाहर किया जाए. जो भी लोग किसी भी कारण से धर्मांतरित हुए या हो रहे हैं उन्हें किसी दशा में आरक्षण के दायरे में नहीं रखा जा सकता. यह स्थिति स्पष्ट कर दी जानी चाहिए. इसके लिए कानून बने.

8. अन्य मतावलम्बियों की तरह मन्दिर के पुजारियों को मानदेय दिया जाए. प्रत्येक मंदिर में पूजा आरती और धार्मिक कार्यों के लिए नियुक्त प्रत्येक पुजारी को उसके भरण पोषण के लिए सम्मानजनक राशि समय से देना सुनिश्चित किया जाय.

9. सन्त सेवा प्राधिकरण बनाकर सन्तों की भौतिक कठिनाइयों का समाधान किया जाए. संत समाज भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक शक्ति और एकता का आधार है. राष्ट्र सेवा का सबसे बड़ा दायित्व संतों पर है. भारत की संस्कृति, दर्शन और अध्यात्म के साथ राष्ट्र और समाज को एक सूत्र में बांधे रखने का दायित्व संत निभा रहे हैं. संतों की सुरक्षा, उनकी देखभाल और आवश्यकताओं की पूर्ति की जिम्मेदारी राज्यध्राष्ट्र की ही है. इसके लिए केंद्र और राज्यों के स्तर पर संत सेवा प्राधिकरण की स्थापना आवश्यक है. इसी के साथ ही संत समाज ने कहा है कि, हिन्दू समाज की इन अपेक्षाओं पर भारत के सभी राजनीतिक दल अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करें. राजनीतिक दलों के नजरिये को परख हिन्दू समाज अगले आम चुनावों में अपना समर्थन किसको देना है, यह निर्णय लेगा.

-भारत एक्सप्रेस

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