राहुल गांधी उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)
INDIA Alliance in Maharashtra: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हराने के प्लान से बने विपक्षी महागठबंधन इंडिया में अब सीट शेयरिंग को लेकर विवाद शुरू हो गया है. हाल ही में कांग्रेस ने बिहार में अपनी सहयोगी जेडीयू और आरजेडी से मांग की है कि वे कांग्रेस को बिहार में 8 सीटें दें. इसके बाद नया विवाद महाराष्ट्र को लेकर हुआ है. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे गुट यूबीटी ने लोकसभा चुनावों के लिए 48 में से 23 सीटें मांगी थी, जिसके चलते बड़ा बवाल हो गया है. इसकी वजह यह है कि कांग्रेस ने उद्धव गुट के शिवसेना की यह मांग खारिज कर दी है.
दरअसल, उद्धव गुट की शिवसेना (यूबीटी) ने मांग की है कि पिछले लोकसभा चुनाव में उनके प्रत्याशियों ने ज्यादातर सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन अभी ज्यादातर सांसद एकनाथ शिंदे के साथ जा चुके हैं, जिसके चलते पार्टी को विपक्ष की तरफ से ज्यादा सीटें दी जाएं. उद्धव गुट के इस बयान ने अब महाराष्ट्र की सियासी गर्मी बढ़ा दी है, क्योंकि महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता तो इस मांग के लिए कतई तैयार नहीं हैं.
अशोक चव्हाण ने खारिज की मांग
महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओं का कहना था कि शरद पवार की एनसीपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना में बगावत होने के बाद कांग्रेस ही राज्य में सबसे पुरानी पार्टी बची है. पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि पार्टियों के बीच समायोजन की जरूरत है. उन्होंने कहा है कि हालांकि हर पार्टी सीटों की बड़ी हिस्सेदारी चाहती है, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए शिवसेना की 23 सीटों की मांग काफी ज्यादा है.
संजय निरूपम बोले-उनके पास तो कैंडिडेट ही नहीं
उद्धव गुट की शिवसेना की इस मांग को लेकर कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए शिवसेना ने 23 सीटों की मांग की है, लेकिन यह टूटी हुई पार्टी है, इसके ज्यादातर लोग मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ चले गए हैं, उद्धव सेना के पास उम्मीदवार नहीं हैं. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसका वोट शेयर निश्चित है, बाकी दो (एनसीपी, सेना) का वोट शेयर टूटा है. इसलिए हर किसी को समायोजन करने की जरूरत है. विनिंग सीट पर झगड़ा नहीं करना चाहिए. 23 सीटें शिवसेना मांग सकती है लेकिन 23 सीटें लेकर वो क्या करेंगे. उनके सारे नेता तो छोड़कर चले गए. CANDIDATE ही नहीं है उनके पास… उनके पास संकट है.’
एनसीपी शिवसेना में हो चुकी है फूट
बता दें कि शिवसेना और बीजेपी पिछले लोकसभा चुनाव में साथ लड़े थे, लेकिन राज्य में विधानसभा चुनाव कंप्लीट होने के बाद टूटा बीजेपी शिवसेना गठबंधन अब उद्धव गुट के लिए ही मुसीबत बन गया है, क्योंकि उद्धव ठाकरे के करीबी एकनाथ शिंदें ने शिवसेना में फूट करके एनडीए का दामन थाम लिया था और मुख्यमंत्री तक बन गए थे. इतना ही नहीं, एनसीपी में भी शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने फूट कर दी है और वो एनडीए में जाकर डिप्टी सीएम बन गए हैं. ऐसे में अब दोनों ही विपक्षी खेमे इंडिया में शामिल है.
-भारत एक्सप्रेस
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