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सीएम शिंदे की मौजूदगी में शिवसेना में शामिल हुए मिलिंद देवड़ा, बोले- पीएम मोदी जो कहते हैं वो करके दिखाते हैं

Milind Deora Joined Shiv sena: पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा आज शिवसेना में शामिल हो गए. उन्होंने सुबह ही कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया था.

Milind Deora Joined Shiv sena

सीएम एकनाथ शिंदे ने मिलिंद को पार्टी की सदस्यता दिलाई.

Milind Deora Joined Shiv sena: पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा आज मुंबई में सीएम एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल हो गए. इस दौरान शिंदे ने उन्हेें भगवा झंडा भी दिया. बता दें कि मिलिंद देवड़ा ने आज सोशल मीडिया के जरिए कांग्रेस छोड़ने की बात की थी. उन्होंने पोस्ट मे लिखा कि मेरी राजनीतिक यात्रा का अहम पड़ाव आज समाप्त हो गया. पार्टी के साथ मेरे परिवार का 55 साल पुराना रिश्ता खत्म हो गया. मैं वर्षों से समर्थन देने वाले कार्यकर्ताओं और साथियों का आभारी हूं.

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जयराम रमेश ने उठाए थे सवाल

देवड़ा के पार्टी छोड़ने पर पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने उनके पार्टी छोड़ने की टाइमिंग पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देवड़ा के पार्टी छोड़ने का समय पीएम मोदी ने तय किया था। जयराम रमेश ने पीटीआई से बातचीत में बताया कि मिलिंद ने उनसे शुक्रवार को फोन पर बात की थी। वे मुंबंई दक्षिण की सीट के लिए राहुल गांधी से बात करना चाहते थे। बता दें कि इस सीट पर शिवसेना उद्धव गुट अपना दावा जता रही है।

पीएम मोदी जो कहते हैं वो करके दिखाते हैं

शिवसेना में शामिल होने के बाद पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मिलिंद ने कहा कि वे ऐसी पार्टी में शामिल होना चाहते थे जो इस देश को यह रचनात्मक सुझाव दे देश को आगे कैसे लाया जाए. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी जो कहते हैं वो करके दिखाते हैं. कल अगर वे कहेंगे कि कांग्रेस एक बहुत अच्छी पार्टी है तो वे उनका विरोध करेंगे. मैं विकास, आकांक्षा और राष्ट्रवाद की राजनीति में विश्वास करता हूं.

आज की कांग्रेस 2004 की कांग्रेस अलग

देवड़ा ने आगे कहा कि मुझे सुबह से बहुत सारे फोन आ रहे हैं कि मैंने कांग्रेस पार्टी से अपने परिवार का 55 साल पुराना रिश्ता क्यों तोड़ दिया? मैं पार्टी के सबसे लंबे समय तक वफादार रहा. दुर्भाग्य से, आज की कांग्रेस 1968 और 2004 की कांग्रेस से बहुत अलग है। अगर कांग्रेस और यूबीटी ने रचनात्मक और सकारात्मक सुझावों और योग्यता और क्षमता को महत्व दिया होता, तो एकनाथ शिंदे और मैं यहां नहीं होते. एकनाथ शिंदे को एक बड़ा निर्णय लेना था. मुझे एक बड़ा निर्णय लेना था.

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