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Lal krishna Advani: राम रथ यात्रा निकालकर लालकृष्ण आडवाणी ने पलट दी थी यूपी की सियासत, मंडल बनाम कमंडल का चला था चक्र, भाजपा की बढ़ गई थीं सीटें

साल 1990 में अयोध्या के लिए लाल कृष्ण आडवानी ने राम रथ यात्रा निकाली थी, जिसने मंडल के दौर में यूपी की राजनीति को पलट दिया. यह यात्रा गुजरात से अयोध्या तक के लिए निकली थी.

फोटो-सोशल मीडिया

Bharat Ratna Lal Krishna Advani: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सोशल मीडिया साइट एक्स पर जानकारी दी है कि भारतीय जनता पार्टी के नेता, पूर्व गृह मंत्री और पूर्व उप-प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिया गया है. इसी के साथ ही पीएम ने अपनी खुशी भी जाहिर की है और कहा कि मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. आडवाणी हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक हैं, भारत के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान है.

तो वहीं सोशल मीडिया पर लालकृष्ण आडवाणी द्वारा राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई करने की खबरें तेजी से वायरल हो रही हैं. बता दें कि 22 जनवरी को ही राम मंदिर का उद्घाटन हुआ है और रामलला मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो चुके हैं. तो वहीं अब जब आडवानी को भारत रत्न मिल रहा है तो उनसे जुड़े लोगों में खुशी की लहर है. तो वहीं एक समय ऐसा भी था जब उन्होंने राम रथ यात्रा निकाल कर उत्तर प्रदेश की तस्वीर के साथ ही तकदीर भी बदल दी थी. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि, साल 1990 की 25 सितंबर को आडवाणी की अगुवाई में गुजरात स्थित सोमनाथ से यूपी स्थित अयोध्या के लिए एक यात्रा निकली थी, इसे नाम दिया गया – राम राथ यात्रा.

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लोगों की जुबान पर चढ़ गया था आडवाणी का भाषण

तो वहीं रथ यात्रा शुरू करने के बाद आडवाणी ने एक संबोधन दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था- सौगंध राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे. इस रथ यात्रा में आडवाणी के तब नरेंद्र मोदी भी साथ थे. तो वहीं इस आडवाणी का यह सम्बोधन जन-जन की जुबान पर चढ़ गया था.

समस्तीपुर में हुए थे गिरफ्तार

बता दें कि राम रथ यात्रा के दौरान आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया और दुमका (अब झारखंड) में नजरबंद किया गया था. जबकि रथ यात्रा का समापन 30 अक्टूबर 1992 को अयोध्या होना था, लेकिन अयोध्या पहुंचने से पहले ही उनको गिरफ्तार कर लिया गया था. उनकी इस यात्रा का असर ये था कि हर एक कि जुबान पर राम का नाम था.

यूपी की राजनीति में आया था बदलाव

बता दें कि आडवाणी की राम रथ यात्रा का व्यापक असर देखने को मिला था और फिर देश में जहां मंडल की राजनीति हो रही थी तो वहीं इस यात्रा के बाद यूपी में पूरी पॉलिटिक्स मंडल बनाम कमंडल की हो गई थी. इसी के बाद माना जाता है कि यूपी की पूरी राजनीति ही पलट गई थी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पहली बार साल 1991 में भूतपूर्व सीएम कल्याण सिंह की अगुवाई में यूपी में सरकार बनाकर सत्ता हासिल की थी. हालांकि 6 दिसंबर 1992 को सरकार गिर गई थी.

इस तरह भाजपा पहुंची प्रचंड बहुमत तक

भाजपा लगातार राम के नाम के साथ यूपी में आगे बढ़ती रही. आडवाणी की जलाई लौ ने ऐसा असर दिखाया कि, साल 1997 में कल्याण सिंह, 1999 में राम प्रकाश गुप्ता, सन्, 2000 में राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री बने और फिर साल 2017 का वह दिन भी आया जब यूपी में भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल किया और सत्ता में आई. योगी आदित्यनाथ सीएम बने. भले ही साल 2017 से पहले उत्तर प्रदेश में भाजपा की स्थिति बहुत अच्छी नहीं रही लेकिन भाजपा ने कभी राम का मुद्दा नहीं छोड़ा और लगातार आगे बढ़ती रही. पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र से लेकर नेताओं के बयान तक में राम मंदिर का जिक्र होता ही रहता था तो वहीं इस बार अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होने के बाद एक अलग ही लहर भाजपा को लेकर दिखाई दे रही है. जहां यूपी में लगातार दूसरी बार भाजपा सत्ता मे आई ह तो वहीं केंद्र में भी दो बार लगातार मोदी सरकार बनी. तो वहीं देश में राम मंदिर की लहर एक बार फिर से इस कदर देखी जा रही है कि तीसरी बार भी मोदी सरकार की ही उम्मीद जताई जा रही है.

-भारत एक्सप्रेस



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