सुप्रीम कोर्ट.
West Bengal Jail: पश्चिम बंगाल के विभिन्न सुधार गृहों और जेलों में बंद महिला कैदियों के गर्भवती होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है. इस संवेदनशील मामले पर न्यायमूर्ति संजय कुमार और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने जांच के लिए सहमति व्यक्त की है. साथ ही सीनियर वकील गैरव अग्रवाल को इस मुद्दे को लेकर रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है. जानकारी रहे कि गैरव अग्रवाल न्याय मित्र के तौर पर अदालत का सहयोग कर रहे हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, बीते 8 फरवरी 2024 को कलकत्ता हाईकोर्ट ने उपरोक्त मामले को आपराधिक खंडपीठ को ट्रांसफर करने का आदेश दिया था. इस मामले में न्याय मित्र ने दावा किया था कि बंगाल (पश्चिम) के सुधार गृहों में बंद कुछ महिला कैदी गर्भवती हो रही हैं. न्याय मित्र ने यह भी दावा किया था कि 196 बच्चों का जन्म भी हो चुका है. जिन्हें विभिन्न केयर होम में देखरेख के लिए रखा गया है.
पूरा मामला क्या है?
बता दें कि साल 2018 में कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील को तपस कुमार भांजा को न्यायमित्र बनाया गया था. जिसने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की पीठ को उपरोक्त मुद्दों का एक सुझाव पेश किया था. जिसमें उन्होंने दावा किया था कि राज्य के कई जेलों में बंद महिला कैदी गर्भवती हो रही हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि जेल मे 196 बच्चों का जन्म भी हुआ है. इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने मामले को आपराधिक खंडपीठ में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है.
पश्चिम बंगाल के इन जेलों में हैं महिला कैदी
पुख्ता सूत्रों के मुताबिक, श्चिम बंगाल के अलीपुर महिला जेल, बारुईपुर, हावड़ा, हुगली, उलुबेरिया जेल में भारी संख्या में महिला कैदी हैं. इसके साथ ही द्रीय सुधार केंद्रों या दमदम, मेदिनीपुर, बहरामपुर, बर्दवान, बालुरघाट सहित कई जिला के जेलों में भी महिला कैदी को रखा गया है.
आमतौर पर जेलों में महिला और पुरुष कैदी को अलग-अलग रखा जाता है. हालांकि किसी वजह से जब ये एक दूसरे के नजदीक होते हैं तो वहां प्रहरी की मौजूदगी होती है. मगर, आश्चर्य की बात है कि जेल में ऐसा कैसे हुआ?
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