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BHU News: एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय, जहां नर्सरी से शोध तक दी जा रही है शिक्षा, जानें क्या था महामना मालवीय का सपना

Varanasi: बीएचयू की स्थापना उस वक्त हुई थी, जब देश में मुश्किल से 5 विश्वविद्यालय थे और स्कूल भी गिनती के ही थे. उस वक्त संयुक्त राष्ट्र में 18, फ्रांस में 15, इटली में 21, जर्मनी में 22 और अमेरिका में 134 विश्वविद्यालय थे.

बीएचयू-फोटो सोशल मीडिया

109th Foundation Day of BHU: आज यानी बसंत पंचमी के दिन काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) अपना 109वां स्थापना दिवस मना रहा है. इसे एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय होने का गौरव प्राप्त है. इसी के साथ ही इस गौरवमयी संस्थान की न जाने कितनी ही खासियत है जो न केवल देश बल्कि विदेश के विद्यार्थियों को भी आकर्षित करती है. दान की जमीन पर इसकी नींव रखी गई और आज यह विज्ञान, वाणिज्य, कला, मेडिकल, इंजीनियरिंग, कृषि, ज्योतिष की शिक्षा देने वाला अकेला ऐसा विश्वविद्यालय बन गया है जहां नर्सरी से शोध तक होता है. पांच संस्थान, 16 संकाय और 135 विभागों वाले इस अनूठे विश्वविद्यालय में नर्सरी से कक्षा बारहवीं तक के सात स्कूल भी शामिल हैं. इसे महामना के सपनों का विश्वविद्यालय भी कहा जाता है. तो वहीं सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस तारीख के हिसाब के नहीं बल्कि हिंदी की तिथि के मुताबिक मनाया जाता है. 1916 में बसंत पंचमी पर ही विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी.

 

जब देश में थे केवल 5 विश्वविद्यालय तब रखी गई थी बीएचयू की नींव

विश्वविद्यालय को लेकर जानकारी मिलती है कि, इसकी स्थापना उस वक्त हुई थी, जब देश में मुश्किल से 5 विश्वविद्यालय थे और स्कूल भी गिनती के ही थे. उस वक्त महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने अपने सपनों का विश्वविद्यालय स्थापित करने का मन बनाया था. बता दें कि उस वक्त संयुक्त राष्ट्र में 18, फ्रांस में 15, इटली में 21, जर्मनी में 22 और अमेरिका में 134 विश्वविद्यालय थे. ऐसे में जरूरी था कि भारत में कोई ऐसा विश्वविद्यालय हो जहां आने वाली पीढ़ियों को उच्च शिक्षा मिल सके. ऐसे में महामना का सपना था कि सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश भारत में ऐसे विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएं जहां नर्सरी से लेकर शोध तक की पढ़ाई हो. इसलिए जब महामना ने हिंदू विश्वविद्यालय की योजना तैयार की थी, उसी समय तय कर लिया था कि यहां सिर्फ उच्च शिक्षा ही नहीं प्रारंभिक शिक्षा भी दी जाएगी. यही वजह रही कि, सेंट्रल हिंदू स्कूल को इस विश्वविद्यालय का हिस्सा बनाया गया. साथ ही विश्वविद्यालय की परिकल्पना को पूरा करने के लिए महामना और स्कूल की संस्थापिका एनी बेसेंट भी साथ में मिलकर योजना को बढ़ाना शुरू किया. सेंट्रल हिंदू स्कूल को आज भी विश्वविद्यालय के न्यूक्लियस के तौर पर जाना जाता है. बता दें कि, विश्वविद्यालय की जब स्थापना की गई तो इसके शुरू के सालों तक कक्षाओं का संचालन सेंट्रल हिंदू कॉलेज में ही होता रहा.

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सेंट्रल हिंदू कॉलेज था पहले से संचालित

बता दें कि, सेंट्रल हिंदू स्कूल, जो कि विश्वविद्यालय के जुड़ा हुआ है, इसका इतिहास बीएचयू से भी पुराना है. बीएचयू से पहले ही इसकी स्थापना हो चुकी थी. जहां बीएचयू की स्थापना 4 फरवरी 1916 (बसंत पंचमी) में हुई थी तो वहीं सेंट्रल हिंदू स्कूल की शुरुआत सात जुलाई 1898 में एनी बेसेंट ने कर दी थी. जानकार बताते हैं कि, इस स्कूल की शुरुआत पहले कर्णघंटा में एक किराये के घर में हुई थी. उस वक्त 15 अध्यापकों और 177 विद्यार्थियों के साथ ही इस स्कूल का संचालन शुरू किया गया था. तत्कालीन समय में काशी नरेश प्रभुनारायण सिंह ने विद्यालय को कमच्छा में भवन दिया और मार्च 1899 में इसे वहां शिफ्ट कर दिया गया था.

जानें विश्वविद्यालय से जुड़े विद्यालयों के नाम

सेंट्रल हिंदू बायज स्कूल कमच्छा-1898
सेंट्रल हिंदू गर्ल्स स्कूल कमच्छा – 1904
रणवीर संस्कृत विद्यालय कमच्छा – 1883
केंद्रीय विद्यालय बीएचयू – 1965
मालवीय शिशु विहार बीएचयू – 1948
सेंट्रल हिंदू प्राइमरी स्कूल कोल्हुआ
सेंट्रल हिंदू स्कूल बरकछा

-भारत एक्सप्रेस

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