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UP Paper Leak Case: पेपर लीक के तीन बड़े मामलों से हिला यूपी का पूरा सिस्टम, अब अभ्यर्थियों ने की ये मांग

समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी की हुई भर्ती परीक्षा को भी रद्द करने की मांग लगातार की जा रही है. पिछले 20 दिनों से इसको लेकर आंदोलन किया जा रहा है.

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सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया

UP Paper Leak: उत्तर प्रदेश में लगातार पेपर लीक के मामले सामने आ रहे हैं. हाल ही में यूपी पुलिस भर्ती की परीक्षा में पेपर लीक के कारण जहां सरकार को परीक्षा रद्द करनी पड़ी तो वहीं बोर्ड की परीक्षा में भी पेपर लीक का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले बीस दिनों में पेपर लीक के तीन बड़े मामलों से यूपी में कोहराम मचा हुआ है. जहां योगी सरकार ने कांस्टेबल की भर्ती परीक्षा को छह महीने में फिर से कराने की बात कही है तो वहीं 29 फरवरी को आगरा में यूपी बोर्ड की 12वीं क्लास के जीव विज्ञान और गणित की परीक्षा का पेपर व्हाट्सएप पर लीक होने के बाद हड़कम्प मच गया. हालांकि कॉलेज की मान्यता यूपी बोर्ड ने निरस्त कर दी है और दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन पूरा सिस्टम सवालों के घेरे में है. सवाल ये है कि इतनी कड़ी सुरक्षा के बीच भी पेपर कैसे लीक हो रहे हैं?

बता दें कि इन परीक्षाओं के रद्द होने के बाद समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी यानी आरओ और ए आरओ की हुई भर्ती परीक्षा को भी रद्द करने की मांग लगातार की जा रही है. पिछले 20 दिनों से इसको लेकर आंदोलन किया जा रहा है. यह परीक्षा प्रदेश के कई जिलों में 11 फरवरी को यूपी लोक सेवा आयोग ने आयोजित की थी. साढ़े छह लाख से अधिक अभ्यर्थी लिखित परीक्षा में शामिल हुए थे. इसको लेकर भी कहा जा रहा है कि परीक्षा से पहले ही पेपर लीक हो गया था. इसी का आरोप लगातार अभ्यर्थी परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं.

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लगातार आते रहे हैं पेपर लीक के मामले

बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब पेपर लीक का मामला सामने आया हो. यूपी में शिक्षा माफियाओं का तंत्र हर इस कदर हावी रहा है अक्सर ही सिस्टम को चुनौती देते हुए पेपर लीक करा देते हैं. पेपर लीक की घटनाएं यूपी में हर सरकार में हुई हैं. हालांकि योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में इन घटनाओं पर थोड़ा अंकुश जरूर लगा है. अगर अभी के कुछ सालों की बात करें तो 2022 में बलिया जिले में इंटर का अंग्रेजी का पेपर लीक हुआ था और इसी के बाद परीक्षा फिर से कराई गई थई तो वहीं 2018 में यूपी बोर्ड की 12वीं क्लास का एग्रोनॉमी का पेपर लीक होने के बाद परीक्षा रद्द कर फिर से कराई गई. 14 दिसंबर 2008 को रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा सहायक लोको पायलट के 705 पदों पर होने वाली भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हुआ था और फिर परीक्षा रद्द करा दी गई थी. इस मामले में एसटीएफ ने ढाई सौ से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया था. तो वहीं 25 अप्रैल 2016 को बीटीसी के हिंदी-कंप्यूटर और संस्कृत विषय के पेपर लीक हो गए थे और फिर परीक्षा रद्द करानी पड़ी थी.

पेपर लीक को लेकर यूपी के 50 शहरों में हुआ था आंदोलन

यूपी लोक सेवा आयोग द्वारा दिसंबर 2016 में समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी के पदों पर होने वाली भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हुआ था और फिर परीक्षा रद्द करानी पड़ी थी तो वहीं 19 जून 2018 को यूपी पीसीएस की मेंस की परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद इसे भी रद्द कर दिया गया था. इसी तरह 24 अगस्त 2021 को उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित की गई प्रारंभिक पात्रता परीक्षा (PET) का पेपर लीक होने का आरोप लगाकार लोगों ने हंगामा काटा था लेकिन आयोग ने आरोपों का खंडन करते हुए परीक्षा रद्द करने से मना कर दिया था.

बता दें कि उस समय इस परीक्षा के पेपर लीक को लेकर यूपी के करीब 50 शहरों में कई दिनों तक आंदोलन हुआ था. 28 नवंबर 2021 में यूपी में शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) की परीक्षा का भी पेपर आउट हुआ था और फिर परीक्षा रद्द करा दी गई थी. इसी तरह उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा ट्यूबवेल ऑपरेटर की भर्ती परीक्षा का पेपर मेरठ जिले में लीक हुआ था. यह परीक्षा 2 सितंबर 2018 को आयोजित की गई थी. वहीं फरवरी 2018 में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड की ऑनलाइन भर्ती परीक्षा का पेपर भी आउट होने के बाद जमकर हंगामा हुआ था और फिर परीक्षा रद्द हो गई थी. तो वहीं 25 और 26 जुलाई 2017 में भी ऐसा ही मामला आया. यूपी पुलिस में CBT यानी इंस्पेक्टर ऑनलाइन भर्ती परीक्षा का पेपर आउट होने के बाद परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी. ये परीक्षा 3307 पदों पर भर्ती के लिए दो दिनों तक आयोजित होनी थी.

पेपर लीक का ये रहा है चर्चित मामला

बता दें कि यूपी पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा साल 2019 में एलटी ग्रेड टीचर्स भर्ती की परीक्षा का भी पेपर लीक होने के बाद जमकर हंगामा हुआ था. इस मामले में जांच एजेंसियों ने कमीशन की तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार को गिरफ्तार जेल भेज दिया था. तो वहीं अखिलेश यादव के पांच साल के कार्यकाल में यूपी लोक सेवा आयोग की हुई भर्तियों की जांच अभी तक सीबीआई कर रही है.

-भारत एक्सप्रेस



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