AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी.
Asaduddin Owaisi filed petition in Supreme Court against CAA: केंद्र सरकार द्वारा जबसे नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) देश में लागू किया गया है. विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं. इसको लेकर विरोध प्रदर्शन भी हो रहा है. इसी क्रम में एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और याचिका दायर करते हुए कानून पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है. ओवैसी ने याचिका में मांग की है कि सीएए कानून के तहत किसी को भी नागरिकता न दी जाए. उन्होंने ये भी दावा किया है कि नागरिकता संशोधन कानून और असम में हुए एनआरसी की कार्रवाई से सीधा सीधा संबंध है. केंद्र सरकार असम की तर्ज पर NRC लागू करना चाहती है.
असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट में सीएए के खिलाफ याचिका दायर करने के साथ ही एनआरसी का मुद्दा भी उठाया है और याचिका दायर करते हुए मांग की है कि सीएए के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाए. एआईएमआईएम चीफ ने कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि सीएए के बाद देश में एनआरसी आ रहा है और ये दोनों का अपवित्र गठजोड़ है. एनआरसी के जरिए भारतीय मुसलमानों को निशाना बनाए जाने की योजना है.
जानें असदुद्दीन ओवैसी ने क्या कहा है याचिका में ?
असदुद्दीन ओवैसी ने याचिका दाखिल करते हुए भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि सीएए से उत्पन्न बुराई केवल नागरिकता प्रदान करने को कम करने में से एक नहीं है, बल्कि नागरिकता से इनकार करने के परिणामस्वरूप उनके खिलाफ चुनिंदा कार्रवाई करने के लिए एक अल्पसंख्यक समुदाय को अलग-थलग करना है. ओवैसी ने कोर्ट से मांग की है कि निर्देश जारी करें कि इन कार्यवाहियों के लंबित रहने के दौरान, किसी भी व्यक्ति को नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 2(1)(बी) के प्रावधानों का सहारा लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी (क्योंकि यह नागरिकता द्वारा संशोधित है).
इसके अलावा ओवैसी ने याचिका में ये भी कहा कि संशोधित कानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. यह आर्टिकल 14, 25 और 21 का उल्लंघन करता है. ऐसे में जब तक इस मामले की सुनवाई होती है तब तक इस कानून के लागू होने पर रोक लगा देनी चाहिए. गौरतलब है कि कानून लागू होने के बाद से ही असदुद्दीन ओवैसी इसका विरोध कर रहे हैं. सीएए के नोटिफिकेशन जारी होने को लेकर उन्होने पहले कहा था कि धर्म के आधार पर किसी कानून को नहीं बनाया जा सकता है. इस पर सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले भी हैं. साथ ही सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि इस पर तुरंत रोक लगाई जाए.
-भारत एक्सप्रेस
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