अमित शाह और देवेंद्र फडणवीस.
BJP worried in Maharashtra Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है. भाजपा ने 4 जून को 400 पार का नया स्लोगन दिया है. ऐसे में अगर भाजपा को एनडीए 400 पार के सपने को पूरा करना है तो उसके लिए न केवल यूपी बल्कि बंगाल और महाराष्ट्र में भी कमाल करके दिखाना होगा. भाजपा शिंदे के अगुवाई वाली महायुति सरकार में शामिल है. पार्टी ने राज्य में 45 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. प्रदेश में लोकसभा की 48 सीटें हैं. 2019 में भाजपा ने संयुक्त शिवसेना के साथ मिलकर 41 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
महाराष्ट्र को कांग्रेस भी काफी तवज्जो देती है. पार्टी ने हैं तैयार हम का चुनावी स्लोगन के लिए नागपुर में रैली की थी. इसके अलावा राहुल गांधी की न्याय यात्रा का समापन भी मुंबई के शिवाजी पार्क में हुई रैली के जरिए हुआ. रैली में उद्धव ठाकरे राहुल गांधी के साथ पास बैठे नजर आए. ऐसे में भाजपा के दोनों सहयोगियों एनसीपी और शिवसेना को पता है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में पार्टी यहां अभूतपूर्व सफलता हासिल कर सकती है.
दिग्गज चले गए फिर भी राज्य में कांग्रेस मजबूत
बात करें चुनाव पूर्व सर्वे की तो महाराष्ट्र में कुछ सर्वे कांग्रेस की स्थिति मजबूत बता रहे हैं. हालांकि दो सप्ताह पहले मुंबई कांग्रेस के अधिकांश बड़े नेता बीजेपी या उसके सहयोगियों के साथ चले गए हैं. ऐसे में कांग्रेस के नेता चिंतित हैं लेकिन राहुल गांधी समेत महाअगाड़ी गठबंधन के सभी नेता इस बात को लेकर आश्वस्त है कि जीत उन्हीं की होगी. हालांकि इन सभी को जीतने के लिए मोदी की गारंटी नामक ब्रहास्त्र से पार पाना पड़ेगा.
प्रकाश आंबेडकर ने बढ़ाई भाजपा की चिंता
जानकारी के अनुसार भाजपा अच्छे प्रदर्शन के लिए दलितों को साध सकती हैं. इसके लिए पीएम मोदी लगातार रैलियां कर रहे हैं. वहीं महाराठों को आरक्षण स्थानीय शिंदे सरकार ने दिया है. ऐसे में किसान और दलितों के वोट किधर जाएंगे इस पर सभी की नजर रहेगी. कुल मिलाकर भाजपा पूरी तरह से एक्टिव हैं. प्रकाश आंबेडकर ने भी भाजपा की चिंता बढ़ाई हुई है. वे भी लगातार विपक्ष के संपर्क में हैं. वे लोगों से कह रहे हैं कि अगर भाजपा वापस आई तो न आरक्षण बचेगा और न ही संविधान. हालांकि महिला वोट बैंक के सहारे भाजपा इस राज्य में विरोधियों पर बढ़त बना सकती है.
वहीं भाजपा की एक चिंता सहानुभूति फैक्टर भी है. जानकारी के अनुसार पार्टी को डर है कि एनसीपी और शिवसेना में टूट के बाद जनता पवार और ठाकरे को वोट दे सकती है. ऐसे में अगर एनसीपी और शिवसेना जिसकी कमान शिंदे और अजीत के पास है उनके प्रत्याशी चुनाव हार सकते हैं.
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