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जुड़वां बच्चियों को गोद लेने के लिए तरस गई मां… पैदा होते ही लगी ऐसी बीमारी कि छींकने से ही टूट जाती थीं हड्डियां

डाक्टरों ने ब्लड टेस्ट लिया तो इस रिपोर्ट में पता चला कि बच्चियां Osteogenesis Imperfecta नामक दुर्लभ जेनेटिक बीमारी से जूझ रही हैं.

American twin girls are struggling with Osteogenesis Imperfecta

सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया

Ajab-Gajab Case In America: बच्चे के जन्म के समय एक मां की खुशी को बस मां ही समझ सकती है. जैसे ही बच्चा जन्म लेता है मां उसे गोद में खिलाना चाहती है उसे चूमना चाहती है, लेकिन अगर बच्चे के जन्म लेते ही डाक्टर ये कह दें कि बच्चे को गोद में नहीं लिया जा सकता क्योंकि उनको विचित्र बीमारी है तो जरा सोचिए एक मां के दिल पर क्या गुजरेगी. ऐसा ही एक अजीब मामला कुछ साल पहले अमेरिका से सामने आया था. जहां जुड़वां बच्चों के जन्म होने पर घर में खुशी का माहौल था लेकिन जब डाक्टरों ने बताया कि बच्चों को अजीब बीमारी है तो मां पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.

चिकित्सकों ने मां से कह दिया था कि वह बच्चों को गोद नहीं ले सकती, क्योंकि बच्चों की हड्डियां ‘अंडे के छिलके’ जितनी नाजुक हैं. दरअसल जिन जुड़वां बच्चों को महिला ने जन्म दिया था वह दर्जनों फ्रैक्चर के साथ पैदा हुए थे. यानी बच्चों की हड्डियां इतनी कमजोर थीं कि अगर वे छींकते और करवट लेते तो हड्डियां टूट जाती थी. यहां तक कि बच्चों को गोद भी नहीं लिया जा सकता था और न ही गले लगाया जा सकता था. क्योंकि इससे उनको चोट पहुंचती थी और असहनीय पीड़ा होती थी.

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सितम्बर 2020 में हुआ था जुड़वां बच्चियों का जन्म

मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के जॉर्जिया में रहने वाली रायन सरहल (27) ने सितंबर 2020 में जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया था. बच्चों के जन्म से पूरा परिवार खुश था लेकिन कुछ ही देर में चिकित्सकों ने बताया कि बच्चियों के शरीर पर दर्जनों फ्रैक्चर हैं. इससे पूरा परिवार दुखी हो गया. चिकित्सकों ने ये भी बताया कि बच्चियों की हालत ऐसी नहीं है कोई उन्हें गोद में उठा सके. इसके बाद डाक्टरों ने ब्लड टेस्ट लिया तो इस रिपोर्ट में पता चला कि बच्चियां Osteogenesis Imperfecta नामक दुर्लभ जेनेटिक बीमारी से जूझ रही हैं. इस बीमारी में हड्डियां इतनी कमजोर व नाजुक होती हैं कि छींकने मात्र से चटक जाती हैं या फिर फ्रैक्चर हो जाता है.

चार महीने बाद हुआ था हालत में सुधार

महिला से चिकित्सकों ने तभी कह दिया था कि बच्चियों को बच पाना मुश्किल है लेकिन इलाज होता रहा और चार महीने तक इलाज होने के बाद उनके स्वास्थ्य में कुछ सुधार देखा गया. महिला ने भी कहा कि इलाज के दौरान भी बच्चियों की तमाम हड्डियां टूट चुकी थीं. रायन चार महीने बाद भी अपनी बच्चियों को गोद में नहीं उठा सकी थीं.

महिला को पहले ही हो गया था शक

रिपोर्ट के मुताबिक महिला ने बताया कि उनको प्रेग्नेंसी के वक्त ही कुछ शक हो गया था. महिला ने बताया कि जब वह गर्भवती थी तभी 20वें हफ्ते में डॉक्टरों ने बच्चों के पैर और हाथ मुड़े हुए पाए थे. तभी कुछ गड़बड़ होने का शक हो गया था, लेकिन तब सोचा कि ये कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन जब बच्चियों (मरियम और मिया) का जन्म हुआ तो बच्चियों का हाल देखकर डॉक्टर भी चौंक गए थे क्योंकि पैदा होने के साथ ही उनके शरीर पर तमाम फ्रैक्चर थे. महिला ने कहा कि तब चिकित्सकों ने बच्चियों की हड्डियों की तुलना अंडे के छिलकों से की थी और इसी की तरह मुलायम बताया था.

मां ने नहीं मानी हार

चिकित्सकों ने भले ही बच्चियों के जन्म से समय उनके न बचने की उम्मीद जताई थी लेकिन मां रायन ने हार नहीं मानी और लगातार बच्चियों का इलाज करवाती रहीं. अब हाल ये है कि वह बच्चियों को गोद में उठा सकती हैं. बच्चियों के स्वास्थ्य में काफी सुधार हुआ है. देखभाल और इलाज के बाद बीमारी घटकर टाइप 3 हो गई है, जो कम गंभीर की श्रेणी में है लेकिन चिकित्सकों का अभी भी कहना है कि बच्चियां पूरी तरह ठीक नहीं हो सकतीं हैं. डाक्टरों का इस बीमारी को लेकर कहना है कि बच्चियां पूरी उम्र इस बीमारी से परेशान रहेंगी और उनको बहुत ही सावधानी के साथ अपना जीवन जीना होगा.

-भारत एक्सप्रेस



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