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8 या 9 कितने दिन की है चैत्र नवरात्रि? जानें घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त और खास नियम

Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू हो रही है. इस साल की चैत्र नवरात्रि कितने दिन की है और कलश स्थापना के नियम क्या हैं? जानिए.

chaitra navratri

चैत्र नवरात्रि.

Chaitra Navratri 2024 Kab se Hai: हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल (मंगलवार) से हो रही है. चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानी 9 तारीख को घटस्थापना की जाएगी. जबकि, इस साल चैत्र नवरात्रि का समापन 17 अप्रैल (बुधवार) को है. वासंतिक नवरात्रि चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नवमी तिथि तक चलती है. चैत्र नवमी को जहां मां दुर्गा के नैवें स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, वहीं इस दिन देश भर मे रामनवमी (Ram Navami 2024) का उत्सव मनाया जाता है. इसके अलावा दशमी तिथि को नवरात्रि व्रत का पारण किया जाता है. नवरात्रि की तिथि कई बार घटती भी है. कई बार तिथि का लोप (कम होना) होने के कारण नवरात्रि 8 दिन की भी हो जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल चैत्र नवरात्रि 8 या 9 कितने दिनों की है?

चैत्र नवरात्रि 2024 कितने दिनों की है?

हिंदी पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से 17 अप्रैल तक है. जबकि 18 अप्रैल को नवरात्रि व्रत का पारण किया जाएगा. ऐसे में इस बार की चैत्र नवरात्रि पूरे 9 दिनों की होगी.

कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त क्या है?

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का विधान है. ऐसे में इस बार कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 9 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 26 मिनट से 10 बजकर 35 मिनट तक है. वहीं, घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से 1 बजकर 05 मिनट तक है. चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ ही मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होती है. ऐसे में इस दिन शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करने के बाद ही मां दुर्गा की पूजा शुरू करनी चाहिए.

घटस्थापना के लिए जरूरी नियम

घटस्थापना के लिए उत्तम समय दिन का एक तिहाई हिस्सा होता है. यानी सूर्योदय से अगले चार घंटे के भीतर कलश स्थापना करना शुभ माना गया है. इसके अलावा घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त भी उत्तम माना गया है. घटस्थापना के लिए चौड़े मुंह वाले मिट्टी के बर्तन में सप्त धान्य (जौ, गेहूं, चावल, तिल, कंगनी, उड़द, मूंग) बोएं. इसके ऊपर कलश में जल भरकर रखें और उसके ऊपरी हिस्से में यानी कलश के गले में कलावा बांधें. कलश के ऊपर आम का पल्लव रखें. इसके बाद जल वाले नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर पल्लव के बीच में रखें. ध्यान रखना है कि नारियल में कलावा भी बांधें. घटस्थापना के बाद ही पूजन के लिए मां दुर्गा का आवाहन करें.

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