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तमिलनाडु: रामसेतु वाले रामनाथपुरम में अब तक नहीं खिल सका है कमल, दिलचस्प है यहां का सियासी समीकरण

तमिलनाडु के रामनाथपुरम लोकसभा क्षेत्र के तहत 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें रामनाथपुरम, तिरुवडनई, मुदुकुलातूर, अरंथंग, तिरुचुली एवं परमकुडी शामिल हैं. यह क्षेत्र पारंपरिक रूप से कांग्रेस का गढ़ रहा है.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: विकिपीडिया)

Lok Sabha Election 2024: देश की राजधानी दिल्ली से तकरीबन 2,701 किलोमीटर दूर तमिलनाडु राज्य का रामनाथपुरम (Ramanathapuram) लोकसभा क्षेत्र कांग्रेस को दिल्ली से दूर करने की प्रमुख वजहों में से एक रहा है. दरअसल साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस बात को बेहद जोर-शोर से उठाया था कि भगवान राम ने रावण की लंका पर आक्रमण करने के लिए जिस पुल का निर्माण किया था, कांग्रेस उसे तोड़ने जा रही है.

उस समय तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने सेतुसमुद्रम शिपिंग नहर परियोजना को हरी झंडी दे दी थी. इसके तहत इस कथित सेतु को तोड़कर एक मार्ग तैयार करना था, जिससे बंगाल की खाड़ी से आने वाले जहाजों को श्रीलंका का चक्कर नहीं लगाना पड़े. इसके पीछे का मकसद समय, दूरी और ईंधन आदि बचाना था.

रामनाथपुरम का इतिहास

यह क्षेत्र पौराणिक काल से प्रसिद्ध है. रामनाथपुरम जिले में हिंदुओं का पवित्र द्वीपीय शहर रामेश्वरम भी शामिल है. किंवदंती है कि यहां पौराणिक राम का पुल है, जिसे राम सेतु कहा जाता है. रामनाथपुरम लोकसभा क्षेत्र तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्व में रामेश्वरम द्वीप के नजदीक मौजूद है.

पुराने जमाने में चोल और पांडयन साम्राज्यों ने यहां राज किया और बाद के दिनों में ब्रिटिश राज के तहत यहां का शासन चलाया गया था. रामनाथपुरम, तमिलनाडु का वह लोकसभा क्षेत्र है, जो बंगाल की खाड़ी में स्थित है. बेंगाई नदी इसके बीच से होती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती है.

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर बना डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम मेमोरियल, देवीपट्टीनम, पमबन ब्रिज, रामनाथस्वामी मंदिर यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं. पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने श्वार्ट्ज हायर सेकेंडरी स्कूल, रामनाथपुरम से पढ़ाई की थी.

रामनाथपुरम को रामनाद के नाम से भी जाना जाता है. जनसंख्या लिहाज से यह जिले का दूसरा सबसे बड़ा शहर है. इस जिले में तिरुवदनई, किलाकराई, परमकुडी, कामुथी, मुदुकुलथुर, रामनाथपुरम और रामेश्वरम तालुका शामिल हैं.

रामनाथपुरम लोकसभा क्षेत्र

रामनाथपुरम लोकसभा क्षेत्र के तहत 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें रामनाथपुरम, तिरुवडनई, मुदुकुलातूर, अरंथंग, तिरुचुली एवं परमकुडी शामिल हैं. यह पारंपरिक रूप से कांग्रेस का गढ़ रहा है. यहां से 6 बार कांग्रेस के सांसद चुने गए थे, वहीं चार बार AIADMK ने जीत दर्ज की है, जबकि तीन बार DMK को जीत मिली है.

1951 में यहां पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ था. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के V. Vr. N. Ar. Nagappa Chettiar यहां के पहले सांसद निर्वाचित हुए थे. 1951 से लेकर 1962 तक यहां कांग्रेस को लगातार जीत मिली. 1967 में निर्दलीय को तथा 1971 में फॉरवर्ड ब्लॉक को यहां जीत मिली थी, जबकि 1977 में एआईएडीएमके ने यहां पहली बार जीत दर्ज की.

1980 में यहां डीएमके ने खाता खोला, लेकिन 1984, 1989 और 1991 में लगातार तीन चुनावों में कांग्रेस ने जीत दर्ज की. 1996 में तमिल मनीला कांग्रेस (मूपनार) को जीत मिली. 1998 और 1999 में एआईएडीएमके को जीत मिली. 2004 और 2009 में यह सीट डीएमके के हाथ ​लगी और 2014 में एआईएडीएमके तथा 2019 के लोकसभा चुनाव में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने इस सीट पर कब्जा किया था.

रामनाथपुरम लोकसभा क्षेत्र की गिनती तमिलनाडु के हाईप्रोफाइल लोकसभा क्षेत्रों में होती है. इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 16,17,688 मतदाता हैं. यहां पहले चरण में 19 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे.

मिर्च का केंद्र

रामनाथपुरम की अधिकांशत: इकोनॉमी मिर्च की खेती पर निर्भर रहती है. रामनाथपुरम के तकरीबन 34 फीसदी हिस्से में मिर्च का उत्पादन किया जाता है. रामनाथपुरम, पुदुक्कोट्टई और विरुधुनगर जिलों में फैले इस निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 25 प्रतिशत अल्पसंख्यक हैं, जिनमें 19 प्रतिशत मुस्लिम शामिल हैं. शेष 75 प्रतिशत मुकुलथोर जैसी कई जातियों से संबंधित हैं. मुकुलथोर का उपयोग कल्लार, मरावर और अगामुडायर, दलित, यादव और मुथरैयार को संदर्भित करने के लिए किया जाता है.

प्रमुख मुद्दे

रामनाथपुरम लोकसभा क्षेत्र का प्रमुख मुद्दा सूखी भूमि, पीने का पानी, मछुआरों की सुरक्षा और पिछड़ापन है. साल 2018 में भारत सरकार ने रामनाथपुरम को देश भर के 112 सबसे पिछड़े जिलों की सूची में डाला था.

रामेश्वरम और आसपास के इलाकों में मछुआरों की एक बड़ी आबादी रहती है, इसलिए भारतीय मछुआरों पर श्रीलंकाई नौसेना द्वारा उसके जल में अतिक्रमण करने के लिए हमला किया जाना और कच्चाथीवु द्वीप भी रामनाथपुरम लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं का प्रमुख मुद्दा है.

दरअसल कच्चातिवु द्वीप का पूरा मामला 1974 में श्रीलंका के साथ हुए जल सीमा समझौते से जुड़ा हुआ है. 1974 में श्रीलंका के साथ हुए जल सीमा समझौते के तहत भारत ने 285 एकड़ में फैले कच्चाथीवु द्वीप को श्रीलंका को दे दिया था. यह द्वीप रामेश्वरम के समुद्र तट से 14 समुद्री मील दूर है, इस इलाके में मछली मारने के लिए जाने वाले भारतीय मछुआरों को श्रीलंका की नौसेना गिरफ्तार कर लेती है.

2019 का जनादेश

इस चुनाव में रामनाथपुरम लोकसभा सीट पर कुल 23 उम्मीदवार मैदान में थे. लेकिन इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के प्रत्याशी कनि के. नवास ने 4,69,943 वोट पाकर जीत हासिल की थी. दूसरे नंबर पर भाजपा प्रत्याशी नैनार नागेंद्रन को 3,42,821 और उनके बाद निर्दलीय उम्मीदवार वीडीएन आनंद ने 1,41,806 मत हासिल किए थे. 2019 के आम चुनाव में भी IUML के सांसद ने जीत दर्ज की थी. IUML सत्तारूढ़ डीएमके की सहयोगी पार्टी है.

ओ. पन्नीरसेल्वम को हमनामों से चुनौती

इस बार रामनाथपुरम लोकसभा क्षेत्र से एक ही नाम के पांच उम्मीदवारों ने पर्चा भर दिया है. इससे जहां एक ओर चुनावी माहौल गर्मा गया है, वहीं चुनाव के दिन मतदाता भी असमंजस में हैं कि वे किस उम्मीदवार को वोट करें. थोड़ी सी भी हड़बड़ी हुई तो किसी दूसरे उम्मीदवार को वोट मिल जाएगा. ये सभी उम्मीदवार इसी सीट के अलग-अलग क्षेत्रों के रहने वाले हैं.

ओ. पन्नीरसेल्वम नाम के 5 लोगों का नामांकन करना पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम के लिए बड़ी चुनौती है. ओ. पनीरसेल्वम ने अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) से निष्कासन के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ गठबंधन किया है और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया है.

इसके अलावा इस सीट पर उनका मुकाबला डीएमके के सहयोगी आईयूएमएल के व्यवसायी और निवर्तमान सांसद कनि के. नवास और एआईएडीएमके के पी. जयपेरुमल के अलावा एनटीके के चंदिराप्रिया से है.

-भारत एक्सप्रेस



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