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UP News: शराब ठेके के खिलाफ 5 साल का बच्चा पहुंचा कोर्ट, सुनाया गया ये बड़ा फैसला 

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर का मामला. बच्चे ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से अपने स्कूल के पास बने शराब के ठेके को हटाने के लिए मांग की थी.

Allahabad High Court

(फोटो: सोशल मीडिया)

UP News: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में एक स्कूल के पास ही खुले शराब ठेके से परेशान होकर पांच साल के बच्चे ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और फिर अपना पक्ष रखते हुए उसने कानून लड़ाई भी जीत ली. ये खबर चर्चा का विषय बनी हुई है.

दरअसल कोर्ट ने बच्चे कि जनहित याचिका पर बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि स्कूल के बगल में अगर पहले से शराब का ठेका है तो जरूरी नहीं हर साल उसका लाइसेंस बढ़ाया जाए. इसी के साथ ही अदालत ने शराब के ठेके का लाइसेंस मार्च 2025 के बाद बढ़ाने पर रोक लगा दी है.

बुधवार को चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस विकास की डिवीजन बेंच ने ये फैसला सुनाया. इसके बाद से ही कोर्ट के इस फैसले और बच्चे की कानून जीत की लगातार चर्चा हो रही है.

एलकेजी में पढ़ता है छात्र

बता दें कि जिस बच्चे ने कोर्ट में गुहार लगाई है वह कानपुर के आजाद नगर में स्थित सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल के एलकेजी में पढ़ता है और उसका नाम अथर्व है. बच्चे ने अपने पिता के सहयोग से जनहित याचिका दायर की थी. अथर्व ने याचिका में बताया था कि उसके स्कूल से 30 फीट की दूरी पर एक शराब ठेका है. इसको यहां से हटा दिया जाए.

इस पर हाईकोर्ट में दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद 2 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था. याची अधिवक्ता आशुतोष शर्मा ने बहस के दौरान कहा कि शासनादेश का उल्लघंन कर स्कूल के बगल में शराब का ठेका खोला गया है. वहां पर रोज ही शराबियों के हुड़दंग होते हैं, जिससे स्कूल के बच्चों के साथ ही अन्य लोगों को भी परेशानी होती है.

इस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया था कि स्कूल के बगल के शराब के ठेके का नवीनीकरण हर साल कैसे होता जा रहा है. इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि स्कूल से पहले से ठेका था और उपबंधो की भी बात ही थी.

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नहीं जरूरी है नवीनीकरण

दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि लाइसेंस अवधि बीत जाने के बाद नवीनीकरण किया जाना जरूरी नहीं है. कोर्ट ने आगे कहा कि दुकान का लाइसेंस 31 मार्च 25 तक है, इसलिए उसके बाद इसे ना बढ़ाया जाए. याची अधिवक्ता आशुतोष शर्मा और बच्चे के परिवारवालों का कहना है कि अब इस तरह के मामलो के लिए ये फैसला नजीर बनेगा. अधिवक्ता ने दावा किया कि पांच साल के किसी बच्चे की ओर से दाखिल की गई संभवतः यह पहली जनहित याचिका है.

जानें क्या है नियम

बता दें कि स्कूल के अगर आस-पास कोई शराब का ठेका है तो उसको लाइसेंस नहीं दिया जा सकता है. इसको लेकर कई साल पहले ही शासनादेश जारी हो चुका है. बावजूद इसके कानपुर सहित प्रदेश के तमाम ऐसे स्कूल है, जिनके आस-पास शराब के ठेके हैं. अगर सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल की बात की जाए तो ये कानपुर में चिड़ियाघर के पास स्थित आजाद नगर मोहल्ले में है. याची का दावा है कि अक्सर ही सुबह 6-7 बजे से ही यहां पर शराबियों का जमावड़ा लग जाता है. और शराब पीकर लोग बवाल-हंगामा करते हैं, जिससे बच्चों के साथ ही अन्य लोगों को भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. गौरतलब है कि स्कूल के पास ही रिहायशी इलाका भी है.

बच्चे के परिवार ने किया ये दावा

बच्चे के परिवारवालों ने कहा कि स्कूल के पास शराब ठेके को बंद कराने के लिए कई बार स्थानीय पुलिस प्रशासन से शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. परिवार वालों ने बताया कि कोर्ट ने ठेके की ओर से दलील दी गई कि स्कूल 2019 में खुला है जबकि शराब का ठेका तकरीबन 30 साल पुराना है. बच्चे के परिवार वालों ने बताया कि अथर्व की ओर से ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी.

-भारत एक्सप्रेस



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