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माइग्रेन और मिर्गी पीड़ितों के लिए अधिक घातक है जलवायु परिवर्तन… लंदन में हुआ अध्ययन, भारत की बढ़ी चिंता

Climate Change: जलवायु परिवर्तन का विश्लेषण अवसाद, चिंता और सिजोफ्रेनिया जैसे सामान्य मानसिक विकारों पर भी किया गया है.

Climate change impact

सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया

Climate Change: जलवायु परिवर्तन की वजह से लगातार मौसम में बदलाव देखा जा रहा है. तापमान लगातार बढ़ रहा है. इससे इंसानों का जीवन प्रभावित हो रहा है. इसी बीच लंदन में हुए एक अध्ययन ने उन लोगों की चिंता बढ़ा दी है जो मानसिक और तंत्रिका संबंधी विकारों जैसे माइग्रेन, स्ट्रोक और मिर्गी जैसी बीमारियों से ग्रसित हैं. अध्ययन में बताया गया है कि इन लोगों के लिए जलवायु परिवर्तन बहुत घातक है.

न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर संजय सिसौदिया के नेतृत्व में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन किया है जिसमें सामने आया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम के पैटर्न में बदलाव आ रहा है. मौसमी घटनाएं मानसिक बीमारियों से ग्रसित लोगों की सेहत को प्रभावित कर रही हैं.

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जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का किया विश्लेषण

अंतरराष्ट्रीय जर्नल लैंसेट न्यूरोलॉजी में अध्ययन प्रकाशित हुआ है. इसमें 1968 और 2023 के बीच प्रकाशित 332 शोध पत्रों की समीक्षा रिसर्च टीम द्वारा की गई है. इसी के साथ ही रिसर्च टीम ने ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज 2016 अध्ययन के आधार पर तंत्रिका तंत्र संबंधी 19 स्थितियों की जांच की है, जिसमें माइग्रेन, स्ट्रोक, मेनिनजाइटिस, अल्जाइमर, मल्टीपल स्केलेरोसिस और मिर्गी को शामिल किया गया है. इसके अतिरिक्त जलवायु परिवर्तन का विश्लेषण अवसाद, चिंता और सिजोफ्रेनिया जैसे सामान्य मानसिक विकारों पर भी किया गया है.

भारत की बढ़ गई है चिंता

वेरिस्क मैपलक्रॉफ्ट की रिपोर्ट एनवायर्नमेंटल रिस्क आउटलुक के मुताबिक, पर्यावरण और जलवायु संबंधी जोखिमों के आधार पर दुनिया के 576 शहरों को सूचीबद्ध किया गया है. इनमें से सबसे अधिक खतरे वाले 100 शहरों का जिक्र किया गया है जिसमें से 99 देश तो केवल एशिया से ही हैं. लीमा ही एक मात्र गैर एशियाई शहर है. फिलहाल इस अध्ययन ने भारत की चिंता बढ़ा दी है. दरअसल अध्ययन में बताया गया है कि दुनिया में सबसे अधिक पर्यावरण और जलवायु संबंधी जोखिमों का सामना कर रहे 100 शहरों में से 43 तो सिर्फ भारत के ही हैं और चीन में ऐसे 37 शहर हैं.

नींद में खलल डालतीं गर्म रातें

रिसर्च टीम के मुताबिक दैनिक तापमान में आया बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव और अचानक बढ़ा बेहद अधिक तापमान, विशेष रूप से जब वह दो ऋतुओं के लिए असामान्य हो तो जलवायु में आए ऐसे बदलाव मस्तिष्क संबंधी रोगों को काफी असर डालते हुए देखे गए हैं. शोधकर्ताओं ने कहा है कि रात के वक्त का तापमान भी बहुत मायने रखता है क्योंकि गर्म रातें नींद खराब करती हैं और इस कारण से दिमाग से जुड़ी कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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