Telegram पर बेची जा रही हैं भारतीय नागरिकों की पैन-आधार और पासपोर्ट डिटेल्स
डाटा लीक को लेकर एक बार फिर बड़ी खबर आई है. लगभग 5000 भारतीय नागरिकों का आधार, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट और पैन विवरण उपलब्ध कराया गया है. माना जा रहा है कि यह काम पाकिस्तानी हैकरों ने किया है.
इस बारे में और रिसर्च करने पर पता चला कि ये डेटा पब्लिक फोरम पर भी उपलब्ध कराया गया है. इसके साथ, लीक हुए डेटा को केवल एक साधारण Google खोज से एक्सेस किया जा सकता है. हैकर्स ज्यादातर डेटा को डार्क वेब पर उपलब्ध कराकर बेच देते हैं. लेकिन, ये सौदे निजी चैनलों के जरिए पूरे किए गए हैं.
हैकर्स ने न केवल टेलीग्राम चैनलों के माध्यम से पहचान डेटा बेचा बल्कि इन डेटा को सार्वजनिक रूप से सुलभ मंचों पर भी उपलब्ध कराया. अब अन्य हैकर समूह भी केवल Google खोज के माध्यम से इन डेटा तक पहुँच प्राप्त कर सकते हैं.
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थ्रेट इंटेलिजेंस रिसर्चर सौम्या श्रीवास्तव ने डार्क वेब पर इन समूहों के बारे में पता लगाया. जहां वह बातचीत के लिए टेलीग्राम पर एक निजी चैनल का इस्तेमाल कर रहा था. इस ग्रुप में ज्यादातर चर्चा उर्दू में हो रही थी. चैनल की प्रोफाइल फोटो पर पाकिस्तानी झंडा लगा हुआ था.
कई दिनों की बातचीत के दौरान हैकर्स ने दावा किया कि उनके पास भारतीय रेलवे, एनटीआरओ और अन्य कॉर्पोरेट निकायों जैसी भारत सरकार की एजेंसियों का भी डेटा है. इसके बाद हैकर्स ने 5.5GB डंप लिंक आधार और पैन कार्ड शेयर किया. इसमें स्कैन कॉपी के साथ 1059 आधार और पैन कार्ड की डिटेल थी.
इंडिया टुडे ने इस खबर की दूसरे तरीके से भी पड़ताल की रिसर्च में पाया गया कि ये हैकर्स पब्लिक में भी डेटा लीक कर रहे थे. लगभग 4000 और आधार पैन कार्ड, पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस एक वेबसाइट पर खुलेआम लीक हो गए. इसके अलावा नेटफ्लिक्स अकाउंट डिटेल्स और पासवर्ड भी वेबसाइट पर डाला गया.
हम जिस वेबसाइट का उपयोग करते हैं वह वर्ल्ड वाइड वेब का एक छोटा सा हिस्सा है. इसके अलावा इंटरनेट पर डीप वेब और डार्क वेब भी मौजूद है. इसे एक्सेस करने के लिए विशिष्ट सॉफ़्टवेयर, कॉन्फ़िगरेशन और प्राधिकरण की आवश्यकता होती है. इसे एक्सेस करने के लिए कभी-कभी अद्वितीय अनुकूलित संचार प्रोटोकॉल की भी आवश्यकता होती है.
इस पर सामग्री छिपी हुई है और खोज इंजन पर अनुक्रमित नहीं है. इसे केवल एक विशेष ब्राउज़र के माध्यम से ही एक्सेस किया जा सकता है. यहां यूजर्स अपनी पहचान भी छिपाकर रखते हैं, ज्यादातर हैकर्स यहीं से डाटा का लेन-देन करते हैं.
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