मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फोटो- IANS)
सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के चाप चढ़ाते ही अफसर फील्ड में दौड़-भाग करने लगे. सीएम योगी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए प्रदेश भर के अफसरों को आगामी त्योहारों, खासकर श्रावण मास की तैयारियों को लेकर निर्देश दिया. उन्होंने वाराणसी में श्रावण मास के दौरान कई आयोजन होने का उल्लेख करते हुए यहां तैनात वरिष्ठ अधिकारियों को चुस्त-दुरुस्त इंतजाम की हिदायत दी. सीएम योगी का इशारा मिलते ही अफसरों की गाड़ियां श्रावण मास से जुड़ी व्यवस्था को कराने के लिए दौड़ने लगी.
वाराणसी में श्रावण मास के दौरान पंचकोशी यात्रा का भी विशेष महत्व है. पंचकोशी यात्रा के मार्ग और पड़ावों पर चाक-चौबंद इंतजाम कराने के लिए जिलाधिकारी ने मुआयना कर मातहतों को जरूरी जिम्मेदारी दी.
अव्यवस्था पर लगाई फटकार
वाराणसी के जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने पंचकोशी यात्रा मार्ग की सड़कों की खराब स्थिति, मलबा, कूड़ा, जल भराव देख अफसरों को जमकर फटकार लगाई. कंदवा व भीमचंडी धर्मशालाओं (पड़ावों) पर पहुंचकर पीने के पानी, शौचालय, साफ सफाई आदि का जायजा लेकर संबंधित अधिकारियों को व्यवस्था दुरुस्त कराने का निर्देश दिया.
जिलाधिकारी ने पंचकोशी मार्ग के सभी पड़ावों व मार्ग पर व्यापक साफ सफाई के लिए ग्रामीण क्षेत्र में डीपीआरओ को अतिरिक्त सफाई कर्मचारियों की तैनाती करने और नगरीय क्षेत्रों में नगर निगम के अधिकारियों को बेहतर साफ-सफाई कराने का निर्देश दिया. उन्होंने मार्ग में गड्ढे, टूट फूट को तत्काल दुरुस्त कराने का भी निर्देश दिया.
श्रावण में होती है पंचकोशी यात्रा
श्रावण मास में पंचकोशी यात्रा का विशेष महत्व है। यह यात्रा मणिकर्णिका घाट से संकल्प लेकर शुरू होती है. हजारों श्रद्धालुओं का जत्था घाटों व गलियों से होते हुए अस्सी घाट पहुंचता है. यहां से जत्था कंदवा स्थित कर्दमेश्वर महादेव के दर्शन के लिए रवाना होते हैं. पंचक्रोशी यात्रा के श्रद्धालु परिक्रमा मार्ग के पांच पड़ाव कंदवा, भीमचंडी, रामेश्वर, शिवपुर और कपिलधारा होते हुए मणिकर्णिका पहुंच कर संकल्प पूरा करते हैं.
पंचक्रोशी यात्रा में शामिल होने के लिए श्रद्धालु एक दिन पहले की घाट पर जुटने लगते हैं. मान्यता अनुसार पंचकोशी यात्रा की शुरुआत कुंड से जल लेकर महाश्मसान पर संकल्प के साथ शुरू हुई. यहां से जल लेकर श्रद्धालु ज्ञानवापी कूप गए. बाबा भोलेनाथ से अनुमति लेकर यात्रा शुरू की. यह यात्रा सावन के अलावा शिवरात्रि और अधिमास में की जाती है. स्कंद पुराण में यात्राओं के महत्व का उल्लेख मिलता है.
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-भारत एक्सप्रेस
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