नवाब मलिक.
Nawab Malik: महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत बरकरार रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जब तक बॉम्बे हाईकोर्ट नवाब मलिक की ओर से दायर नियमित जमानत याचिका पर फैसला नहीं दे देता, तब तक अंतरिम जमानत बरकरार रहेगा. न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह आदेश दिया है. नवाब मलिक को चिकित्सा आधार पर सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली है. मलिक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फरवरी 2022 से जेल में बंद थे. उन्हें 17 महीने बाद जमानत मिली थी. नवाब मलिक अदालत की अनुमति से पिछले साल कुर्ला के एक निजी अस्पताल में इलाज करा रहे थे. मलिक की एक किडनी खराब हो गई है. इसके अलावा वो अन्य शारीरिक बीमारियों से भी पीड़ित है.
कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस में हुए थे गिरफ्तार
बता दें कि ईडी ने नवाब मलिक को अंडरवर्ल्ड लिंक के साथ कथित रूप से कम मूल्य वाली संपत्ति सौदे में मनी लॉन्ड्रिंग केस में फरवरी 2022 में गिरफ्तार किया था. मलिक ने बॉम्बे हाईकोर्ट से नियमित जमानत की मांग करते हुए दावा किया है कि वह कई बीमारियों के अलावा क्रोनिक किडनी डिजीज से पीड़ित है. उन्होंने योग्यता के आधार पर नियमित जमानत की मांग की है. दरअसल एनआईए ने सबसे पहले अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और शकील शेख बाबू मोइउद्दीन उर्फ छोटा शकील, इब्राहिम मुश्ताक अब्दुल रज्जाक मेमन उर्फ टाइगर मेमन सहित उसके करीबी सहयोगियों के खिलाफ दर्ज मामले में नवाब मलिक को पीएमएलए के तहत गिरफ्तार किया गया था.
कुर्ला में गोवावाला कम्पाउंड को हड़पने की साजिश
बता दें कि नवाब मलिक पर आरोप है कि दाऊद की बहन हसीना पारकर के साथ मिलकर डील की थी और सितंबर 2005 में फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी का उपयोग करके कुर्ला में गोवावाला कम्पाउंड को हड़पने के लिए साजिश रचने का आरोप थी. ईडी ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि 15.99 करोड़ की राशि का इस्तेमाल आतंकी संगठनों के साथ सक्रिय सहयोग में आतंकी फंडिंग के लिए किया गया.
-भारत एक्सप्रेस
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