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“हम हाई कोर्ट के जज की टिप्पणी से दुखी है…” जानें सीजेआई ने क्यों कही ये बात

सीजेआई ने कहा कि भविष्य में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के आदेशों में सुनवाई के दौरान अधिक सावधानी बरतने की उम्मीद करते है.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट.

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए स्वतः संज्ञान पर सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि हम हाई कोर्ट के जज की टिप्पणी से दुखी है. सीजेआई ने कहा कि लाइव स्ट्रीमिंग के दौर में टिप्पणियों से जज को सावधान रहना चाहिए. साथ ही कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जज जस्टिस सहरावत की ओर से की गई टिप्पणियों को खारिज कर दिया है. सीजेआई ने कहा कि भविष्य में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के आदेशों में सुनवाई के दौरान अधिक सावधानी बरतने की उम्मीद करते है.

सीजेआई ने कहा कि जहां पारित आदेशों पर अलग-अलग जज सहमत हों, वहां बात अलग है. सीजेआई ने कहा कि अदालत नोटिस जारी करने के लिए इच्छुक होती, ऐसा करने से जज के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू हो जाती, जिसे सुप्रीम कोर्ट टाल रहा है. मामले की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कोर्ट को इस मामले में दखल देना चाहिए. AG ने कहा कि मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट को गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए. वही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जहां तक वीडियो का सवाल है तो यह एक गंभीर अवमानना का मामला बनता है.

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एसजी ने बताया कि मामला भूमि विवाद से संबंधित था. मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि अवमानना मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस सहरावत ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर जो टिप्पणी की है, वह गंभीर चिंता का विषय है. सीजेआई ने कहा कि हमारा विचार है कि जज की टिप्पणियां पूरी तरह से अनावश्यक और अनुचित थी. सीजेआई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेशों का अनुपालन का नही बल्कि संविधान का मामला है.

सीजेआई ने कहा कि दोनों पक्ष एक आदेश से व्यथित हो सकते है, लेकिन जज कभी भी हाई कोर्ट या संवैधानिक अदालतों द्वारा पारित आदेश से व्यथित नही होते है. सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि हमें यह भी बताया गया है कि आदेश पर रोक लगा दी गई है. कोर्ट ने कहा कि आदेशों पर टिप्पणी करने की इस प्रवृत्ति को अनुशासन बनाए रखना होगा. व्यवस्था में अनुशासन होनी चाहिए. वही जस्टिस हृषिकेश रॉय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी सर्वोच्च है. सर्वोच्च संविधान है, हम संविधान के नीचे है, जबकि जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि एक मात्र मुद्दा यह है कि जब अपीलीय न्यायालय होने के नाते अदालत द्वारा रोक लगाई जाती है.

तो उस आदेश का अनुपालन होना चाहिए. बहुत सी गैर जरूरी चीजों के बारे में अनावश्यक टिप्पणियां की जाती है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मामले में सुनवाई की. दरअसल, पंजाब एवं हरियाणा ने 17 जुलाई को एक आदेश दिया था. हाई कोर्ट ने एक मामले में अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया था. जज राजबीर सहरावत ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट खुद को अधिक सवोच्च मानता है. यह वास्तव में हाईकॉर्ट्स को संवैधानिक रूप से कम उच्च मानता है. जज सहरावत ने अपने आदेश में कहा था कि हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट का कोई अधीनस्थ कोर्ट नही है. जज सहरावत ने यह भी कहा कि हाई कोर्ट द्वारा शुरू की गई अवमानना की कार्रवाई में दखल देते वक़्त सुप्रीम कोर्ट को एहतियात बरतना चाहिए. जज सहरावत की इस टिप्पणी के बाद पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू ने हाई कोर्ट के रोस्टर में संशोधन करते हुए अदालत की अवमानना के सभी जज सहरावत से न्यायमूर्ति हरकेश मनुजा को ट्रांसफर कर दिया है.

-भारत एक्सप्रेस



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