सुप्रीम कोर्ट
दिल्ली में कैदियों की रिहाई से जुड़ी फाइलों के निपटारे के मामले में दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि नई मुख्यमंत्री ने पद संभाल लिया है, अब कैदियों की रिहाई से जुड़ी फाइलों का निपटारा कर दिया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि उम्मीद है नए बदलाव से कैदियों की रिहाई के मामले में कोई समस्या नहीं होगी. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि हरप्रीत सिंह नामक कैदी की माफी याचिका पर वो 3 हफ्ते में फैसला करे.
18 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई
कोर्ट इस मामले में 18 अक्टूबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई में कैदियों की रिहाई में हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा था कि क्या केजरीवाल के तिहाड़ जेल में रहते हुए कैदियों की रिहाई वाली फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते हैं. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से यह भी पूछा था कि क्या मुख्यमंत्री के ऐसा करने पर रोक लगाने का कोई आदेश है. जस्टिस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच हरप्रीत सिंह नाम के कैदी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही हैं. हरप्रीत सिंह ने कहा है कि सीएम के हस्ताक्षर नहीं होने के चलते कई महीनों से उसकी रिहाई नहीं हो पा रही है.
मामलों को इस तरह अटकाया नहीं जा सकता: जस्टिस ओका
कोर्ट ने एएसजी ऐश्वर्या भाटी और वरिष्ठ वकील अर्चना दवे से पूछा कि क्या मुख्यमंत्री द्वारा रिहाई वाली फाइल पर हस्ताक्षर करने पर रोक है. जिस पर एएसजी भाटी ने कहा कि इससे पहले इस तरह की स्थिति देखने को नहीं मिली है, लिहाजा वह इस बारे में निर्देश लेकर कोर्ट को अवगत कराएगी. इस पर जस्टिस ओका ने कहा था कि यदि ऐसा नहीं है तो सुप्रीम कोर्ट को भारतीय अनुच्छेद 142 के तहत मिले अधिकारों का इस्तेमाल करना होगा. क्योंकि, इन मामलों को इस तरह अटकाया नहीं जा सकता है. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर नहीं करने से माफी वाले फाइलों को आगे की कार्यवाही के लिए उपराज्यपाल के पास नहीं भेजा जा पा रहा है.
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-भारत एक्सप्रेस
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