सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के संविधान पीठ ने राजस्थान हाईकोर्ट में नियुक्ति (Rajasthan High Court Vacancies) को लेकर बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा है कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता है. मामले में नौकरी से जुड़ी लिखित परीक्षा और साक्षात्कार होने के बाद 75 फीसदी क्वालीफाइंग नंबर पर ही नियुक्ति का नियम बना दिया गया था.
अहर्ता को बीच मे बदलना न्याय संगत नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर नियमों में पहले से इस बात की व्यवस्था हो कि नौकरी पात्रता में बदलाव हो सकता है, तो ऐसा किया जा सकता है. लेकिन समानता के अधिकार का उल्लंघन करते हुए मनमाने तरीके से नहीं हो सकता. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI D.Y Chandrachud), जस्टिस हरिकेष रॉय, जस्टिस पी श्री नरसिम्हा, जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने अपने फैसले में साफ किया कि भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए, ताकि सभी उम्मीदवारों को समान अवसर मिले. संविधान पीठ ने यह भी माना कि किसी भी भर्ती प्रक्रिया में उम्मीदवारों की योग्यता या अहर्ता को बीच मे बदलना न्याय संगत नहीं है.
ये था मामला
उम्मीदवारों को एक लिखित परीक्षा में भाग लेना था, जिसके् बाद एक व्यक्तिगत साक्षात्कार होना था. इसमें 21 उम्मीदवार उपस्थित हुए. उनमें से सिर्फ तीन को ही हाईकोर्ट (प्रशासनिक पक्ष) ने सफल घोषित किया. बाद में यह बात सामने आई कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने आदेश दिया था कि इन पदों के लिए कम से कम 75 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों का ही चयन किया जाना चाहिए. हाइकोर्ट ने 2013 में भर्ती प्रक्रिया में बदलाव किया था और कहा गया था कि जिन उम्मीदवारों के अंक 75 फीसदी है. वही सफल माने जाएंगे. हाईकोर्ट का यह आदेश उन उम्मीदवारों पर लागू किया गया जिन्होंने पहले ही परीक्षा दे दी थी, जिसके कारण भर्ती प्रक्रिया में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई थी.
-भारत एक्सप्रेस
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