सांकेतिक तस्वीर
पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार ने अदालत के समक्ष उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें आप सांसद स्वाति मालीवाल पर कथित रूप से हमला करने के लिए उनके खिलाफ पुलिस के आरोपपत्र पर संज्ञान लिया गया था. अदालत ने सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार करते हुए सुनवाई 16 नवंबर तय की है.
कुमार पर 13 मई को मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर मालीवाल पर हमला करने का आरोप है और फिलहाल वह जमानत पर हैं. मजिस्ट्रेट अदालत ने 30 जुलाई को उनके खिलाफ आरोपपत्र पर संज्ञान लिया.
अदालत में पुनरीक्षण याचिका दायर
कुमार के वकील मनीष बैदवान ने तीस हजारी सत्र अदालत में पुनरीक्षण याचिका दायर की, जिसमें तर्क दिया गया कि नए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के बजाय निरस्त आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत यांत्रिक तरीकेसे संज्ञान लिया गया था. इसमें कहा गया संज्ञान के लिए इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है कि क्या नए बीएनएसएस के बाद के प्रावधानों के तहत आगे की कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त आधार है, जो वर्तमान मामले में गायब है.
सीसीटीवी फुटेज से जुटाए गए साक्ष्य
याचिका में आगे विभिन्न आधारों पर विसंगतियों का दावा किया गया जिसमें अंतिम रिपोर्ट दोषपूर्ण होना भी शामिल है. इसमें आरोप लगाया गया कि जांच के दौरान सीसीटीवी फुटेज जैसे महत्वपूर्ण साक्ष्य प्राप्त किए गए और जब्त किए गए, और प्रदर्शनों के संबंध में एफएसएल रिपोर्ट अभी भी लंबित है. महत्वपूर्ण साक्ष्यों पर विचार नहीं किया गया, जबकि अदालत ने केवल अधूरे आरोपपत्र के आधार पर संज्ञान आदेश पारित किया. याचिका में आरोप लगाया गया है कि ट्रायल कोर्ट ने गुप्त अंतिम रिपोर्ट के आधार पर संज्ञान लिया और अपना न्यायिक दिमाग लगाने में विफल रहा. 17 जुलाई को दाखिल आरोपपत्र में विभिन्न आईपीसी प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें धारा 201, 308, 341, 354, 354बी, 506 और 509 शामिल हैं.
–भारत एक्सप्रेस
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