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मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्ति मामले में सीजेआई ने खुद को किया अलग, अगली सुनवाई 6 जनवरी को

याचिकाकर्ताओं ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से सीजेआई को हटाकर कैबिनेट मंत्री को शामिल करने वाले कानून को चुनौती दी है, इसे संविधान के अनुच्छेद 14 और सुप्रीम कोर्ट के अनूप बरनवाल मामले के फैसले का उल्लंघन बताया है.

Justice Sanjiv Khanna

Justice Sanjiv Khanna

मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित मामले से सीजेआई संजीव खन्ना ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. दूसरी बेंच 6 जनवरी को इस मामले में अगली सुनवाई करेगी. यह याचिका कांग्रेस नेता जया ठाकुर सहित अन्य की ओर से दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाली समिति से हटाना अनूप बरनवाल बनाम भारत संघ और अन्य के मामले का उल्लंघन है.

अनूप बरनवाल मामले में फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा था कि पैनल में प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होने चाहिए. वहीं, नए कानून में सीजेआई की जगह कैबिनेट मंत्री को बतौर सदस्य रखा गया है. याचिका में यह भी कहा गया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है.

केंद्र सरकार ने 2023 में जो कानून बनाया है, उसमें सिलेक्शन कमिटी में चीफ जस्टिस को हराकर उनकी जगह पीएम की ओर से नामित केंद्रीय मंत्री को रखा गया है. इस तरह से सिलेक्शन प्रक्रिया खतरे में होगी और हेरफेर का आदेश है क्योंकि सिलेक्शन प्रक्रिया एग्जेक्युटिव के कंट्रोल में होगा. इससे पहले याचिकाकर्ता जया ठाकुर की ओर से अदालत में पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा था कि जब कोई फैसला सुनाया जाता है तो कोई उल्लंघन नहीं हो सकता है.

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उन्होंने तर्क दिया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम 2023 में स्पष्ट उल्लंघन हुआ है. बता दें कि रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संघु को निर्वाचन आयुक्त किया गया था. इनकी नियुक्ति रद्द करने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी. याचिकाकर्ता ने सीजेआई को चयन समिति में रखने की मांग गई थी.

-भारत एक्सप्रेस



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