सांकेतिक तस्वीर.
उत्तर प्रदेश के संभल में मस्जिद के सर्वेक्षण के बाद भड़की हिंसा, जिसमें चार लोग गोली लगने से मारे गए, के कुछ सप्ताह बाद भी यह रहस्य बना हुआ है कि उन्हें किसने गोली मारी. इस मामले में अब जिले के पुलिस अधीक्षक (SP) ने मीडिया को बताया कि पुलिसकर्मियों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवा में गोलियां चलाईं.
एक वीडियो, जिसमें एक पुलिसकर्मी को गोली चलाते हुए दिखाया गया है, पर एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने कहा, “एक पुलिसकर्मी को हवा में गोली चलाते हुए देखा जा सकता है. हम जांच कर रहे हैं कि किसने दो गोलियां चलाईं.”
पुलिस का यह बयान हिंसा के एक दिन बाद 25 नवंबर को पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा कही गई बातों से अलग है. उस समय बिश्नोई ने कहा था, “पुलिस ने केवल पैलेट गन का इस्तेमाल किया. तीनों मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि वे पॉइंट 315 बोर की बंदूक से गोली लगने के कारण मारे गए.”
3 समूह एक-दूसरे पर गोली चला रहे थे
मुरादाबाद डिविजनल कमिश्नर अंजनेय कुमार सिंह ने भी मृतकों में से एक नईम के माता-पिता के इस दावे का खंडन किया कि वह पुलिस की गोलीबारी में मारा गया. कथित तौर पर गोली लगने से घायल हुए कुछ पुलिसकर्मियों का जिक्र करते हुए अंजनेय कुमार सिंह ने कहा था, “पुलिस खुद पर गोली नहीं चला सकती… अगर उनका बेटा पत्थरबाजी करने की योजना बना रहा था तो उसे रोकना परिवार के सदस्यों की जिम्मेदारी थी… तीन समूह एक-दूसरे पर गोलीबारी कर रहे थे. हमारे पास सबूत हैं, लेकिन अभी हमारी प्राथमिकता शांति बहाल करना है.”
शनिवार को, एक पुलिसकर्मी द्वारा कथित तौर पर गोली चलाने वाले वीडियो के बारे में पूछे जाने पर अंजनेय कुमार सिंह ने कहा, “गोली लगने से चार लोगों की मौत जांच का हिस्सा है. वे कैसे मारे गए और उन्हें किसने गोली मारी, यह हमारी जांच का हिस्सा है. एक बार जब हमारे पास रिपोर्ट आ जाएगी, तो सब स्पष्ट हो जाएगा.”
पहले सर्वे से संतुष्टी नहीं हुई
SP बिश्नोई ने कहा कि शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दिन पुलिस को मस्जिद और सर्वेक्षणकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया था. 24 नवंबर को कार्रवाई तब हुई जब जिला अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को मस्जिद का सर्वेक्षण करने की अनुमति दी, जिसमें दावा किया गया कि यह मूल रूप से एक मंदिर था.
पहला सर्वेक्षण 19 नवंबर को आयोजित किया गया, जिस दिन याचिका दायर की गई और जिला न्यायालय में सुनवाई हुई. लेकिन अधिकारियों ने कहा कि वे इसे संतोषजनक ढंग से पूरा नहीं कर सके.
इतनी बड़ी भीड़ की उम्मीद नहीं थी
कमिश्नर सिंह ने कहा कि अधिकारियों ने दूसरे सर्वेक्षण के दौरान इतनी बड़ी भीड़ की उम्मीद नहीं थी. कमिश्नर ने कहा, “यह ध्यान में रखते हुए कि सर्वेक्षण के पहले दौर के दौरान मस्जिद स्थल पर केवल 50 लोग एकत्र हुए थे, हमने पुलिस बल तैनात किया. हम किसी भी तरह की हिंसा की आशंका नहीं कर सकते थे. हमने समिति के सदस्यों (शाही जामा मस्जिद के) को विश्वास में लिया था और हमें विश्वास था कि अगर चीजें हाथ से निकल जाती हैं, तो हम बातचीत का इस्तेमाल कर सकते हैं.”
ड्रोन निगरानी में 500 लोगों ने नमाज अदा की
हिंसा के दो सप्ताह बाद शुक्रवार (6 दिसंबर) को भारी पुलिस तैनाती और ड्रोन निगरानी के बीच लगभग 500 लोगों ने मस्जिद में नमाज अदा की. उपस्थित लोगों में जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट वंदना मिश्रा और सर्कल अधिकारी अनुज चौधरी शामिल थे. मजिस्ट्रेट पेंसिया ने कहा कि हिंसा के मामले में अब तक 34 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 400 से अधिक की पहचान की गई है.
संभल की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनुकृति शर्मा ने बताया कि मृतकों के परिजनों की शिकायतों के आधार पर चार FIR दर्ज की गई हैं. परिजनों द्वारा जांच की मांग के बाद SIT टीमों का गठन किया गया. जांच पूरी होने में तीन महीने लगेंगे.
ये भी पढ़ें: ममता बनर्जी का एक बयान और इंडिया गठबंधन में कमजोर होती दिख रही Congress
-भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.