पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा का निधन.
पूर्व विदेश मंत्री और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सोमनहल्ली मल्लैया कृष्णा का मंगलवार तड़के बेंगलुरू स्थित उनके आवास पर निधन हो गया. वह 92 वर्ष के थे और उनका उम्र संबंधी बीमारियों का इलाज चल रहा था. अपनी बौद्धिक क्षमता और प्रशासनिक कौशल के लिए जाने जाने वाले एस एम कृष्णा का राजनीतिक करियर पांच दशक से भी ज्यादा समय तक शानदार रहा. पूर्व सीएम के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताया है.
सबसे सफल नेताओं में से एक थे कृष्णा
1 मई, 1932 को कर्नाटक के मद्दुर में जन्मे कृष्णा ने मैसूर के महाराजा कॉलेज और बेंगलुरु के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की, उसके बाद टेक्सास के सदर्न मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी और वाशिंगटन डीसी के जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से एडवांस डिग्री हासिल की. प्रतिष्ठित फुलब्राइट स्कॉलरशिप प्राप्तकर्ता कृष्णा अपने समय के सबसे सफल नेताओं में से एक थे.
1999 से 2004 तक कर्नाटक के CM रहे
उन्होंने 1999 से 2004 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया, जिसके दौरान उन्होंने बेंगलुरू को वैश्विक आईटी हब में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यूपीए सरकार के तहत 2009 से 2012 तक विदेश मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल ने एक प्रतिष्ठित राजनेता के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को और मजबूत किया. उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल (2004-2008) और कर्नाटक विधानसभा का अध्यक्ष (1989-1993) पद भी संभाला.
Shri SM Krishna Ji was a remarkable leader, admired by people from all walks of life. He always worked tirelessly to improve the lives of others. He is fondly remembered for his tenure as Karnataka’s Chief Minister, particularly for his focus on infrastructural development. Shri… pic.twitter.com/Wkw25mReeO
— Narendra Modi (@narendramodi) December 10, 2024
पद्म भूषण से सम्मानित किया गया
कांग्रेस के दिग्गज रहे कृष्णा ने वैचारिक मतभेदों का हवाला देते हुए 2017 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ज्वाइन कर ली. अपनी सेवानिवृत्ति तक कर्नाटक की राजनीति में मार्गदर्शक बने रहे. उनके योगदान के सम्मान में, उन्हें 2023 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.
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कृष्णा की सार्वजनिक सेवा के प्रति प्रतिबद्धता और कर्नाटक के लिए उनके दृष्टिकोण ने राज्य के शासन और विकास पर एक अमिट छाप छोड़ी. सक्रिय राजनीति से दूर रहने के बाद भी, कर्नाटक की सांस्कृतिक विरासत के साथ उनका जुड़ाव मजबूत रहा.
-भारत एक्सप्रेस
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