विधायक अब्दुल रहमान. (फाइल फोटो)
AAP MLA Resignation: आम आदमी पार्टी के विधायक अब्दुल रहमान (Abdul Rehman) ने मंगलवार (10 दिसंबर) को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. सीलमपुर विधायक ने आप पर “मुसलमानों के अधिकारों की अनदेखी” का आरोप लगाया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किए गए दो पन्नों के पत्र में अब्दुल रहमान ने कहा है कि वह आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं.
उन्होंने लिखा, “आज मैं आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं. पार्टी ने सत्ता की राजनीति में उलझकर मुसलमानों के अधिकारों को नजरअंदाज किया. अरविंद केजरीवाल ने हमेशा जनता के मुद्दों से भागकर अपनी राजनीति की. इंसाफ और हक की लड़ाई लड़ता रहूंगा.”
आज मैं आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं। पार्टी ने सत्ता की राजनीति में उलझकर मुसलमानों के अधिकारों को नजरअंदाज किया, अरविंद केजरीवाल ने हमेशा जनता के मुद्दों से भागकर अपनी राजनीति की। इंसाफ़ और हक़ की लड़ाई लड़ता रहूँगा । @ArvindKejriwal @AAPDelhi pic.twitter.com/T6FTmdgReO
— Abdul Rehman MLA (@AbdulrehmanMLA) December 10, 2024
अब्दुल रहमान का आप से इस्तीफा पार्टी के लिए एक झटका माना जा रहा है. उनके निर्वाचन क्षेत्र सीलमपुर में मुस्लिम मतदाता काफी संख्या में हैं. ऐसे में पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर असर पड़ सकता है.
अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा
आप छोड़ने का उनका फैसला 29 अक्टूबर को अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के करीब डेढ़ महीने बाद आया है. उस समय रहमान ने आप संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा दिल्ली कांग्रेस के दिग्गज नेता चौधरी मतीन अहमद के बेटे जुबैर अहमद और बहू शगुफ्ता को पार्टी में शामिल करने के कुछ ही मिनट बाद अपने पद छोड़ने के फैसले के बारे में सार्वजनिक रूप से बताने का फैसला किया था.
आप विधायक ने एक पोस्ट में कहा था, “मैं आम आदमी पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं. मेरे विचारों में बढ़ते मतभेदों को देखते हुए मैंने यह फैसला लिया है. मुझे उम्मीद है कि पार्टी और मेरे समर्थक मेरे इस कदम को समझेंगे.”
बता दें कि दिल्ली विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को समाप्त होगा. साल 2020 के विधानसभा चुनावों में 70 सदस्यीय विधानसभा में आप ने 62 सीटें जीती थीं जबकि भाजपा ने आठ सीटें जीती थी. कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी थी.
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-भारत एक्सप्रेस
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