दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) को लागू न किए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह दिल्ली के सभी सात भाजपा सांसदों द्वारा दायर जनहित याचिका पर जवाब दाखिल करे. दिल्ली हाई कोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की और आगामी 13 जनवरी को अगली सुनवाई की तारीख तय की.
क्यों जरूरी है योजना का लागू होना?
सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने सवाल किया कि 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सफलतापूर्वक लागू हो रही इस योजना को दिल्ली में क्यों लागू नहीं किया गया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली देश के अन्य हिस्सों से अलग नहीं है और यहां के नागरिकों को भी इस योजना का लाभ मिलना चाहिए.
याचिका में क्या कहा गया?
दिल्ली में आयुष्मान भारत योजना के कार्यान्वयन के लिए भाजपा सांसदों ने एक जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में आरोप लगाया गया कि इस योजना का दिल्ली में क्रियान्वयन नहीं होने के कारण लक्षित लाभार्थियों को 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य कवरेज नहीं मिल पा रहा है. इस योजना के तहत, मरीजों को सूचीबद्ध सार्वजनिक और निजी अस्पतालों में उपचार के लिए सहायता दी जाती है, जिससे उन्हें भारी स्वास्थ्य खर्चों से राहत मिलती है.
दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य प्रणाली पर कोर्ट की आलोचना
इससे पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था की आलोचना करते हुए कहा था कि यह कार्यशील नहीं है. अदालत ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि चिकित्सा उपकरणों की स्थिति खराब है, कई उपकरण काम नहीं कर रहे हैं, और सीटी स्कैन जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं.
योजना का वित्तीय ढांचा
याचिका में यह भी कहा गया कि आयुष्मान भारत योजना की लागत केंद्र और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच साझा की जाती है, जिसमें केंद्र सरकार 60% और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश 40% खर्च वहन करते हैं. इस व्यवस्था के तहत दिल्ली सरकार को भी अपनी हिस्सेदारी का भुगतान करना होता है, जिसे वह अब तक पूरा नहीं कर पाई है.
दिल्ली हाई कोर्ट की अगली सुनवाई 13 जनवरी को होगी, और सरकार से जवाब की उम्मीद जताई जा रही है.
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