Parliament’s winter session: संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया. यह सत्र हाल के वर्षों में सबसे विवादास्पद रहा. सत्र के दौरान हिंसा, विरोध प्रदर्शन और कामकाज में भारी गिरावट देखी गई. इस सत्र में “वन नेशन, वन इलेक्शन” से जुड़े विधेयक पेश किए गए और संविधान के 75 साल पूरे होने पर दो दिन की चर्चा हुई. लेकिन हंगामे के कारण लोकसभा ने सिर्फ 57% और राज्यसभा ने 43% समय ही काम किया.
लोकसभा अध्यक्ष की चेतावनी
सत्र के अंत में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने परंपरागत विदाई भाषण नहीं दिया. इसके बजाय उन्होंने सांसदों को सख्त चेतावनी दी.
उन्होंने कहा, “संसद परिसर में किसी भी जगह प्रदर्शन न करें. नियमों का पालन करें, नहीं तो सख्त कार्रवाई होगी.”
यह चेतावनी उस समय दी गई जब विपक्षी सांसद नारेबाजी कर रहे थे. इसके बाद ‘वंदे मातरम’ के साथ लोकसभा को मात्र तीन मिनट में स्थगित कर दिया गया.
विपक्ष का विरोध
सत्र के अंत में स्पीकर की ओर से आयोजित चाय कार्यक्रम में विपक्षी नेताओं ने हिस्सा नहीं लिया. इसके कारण इस कार्यक्रम की कोई तस्वीर भी जारी नहीं हुई.
सत्र के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत एनडीए नेताओं ने स्पीकर से मुलाकात की.
विधायी कामकाज में कमी
सत्र के दौरान केवल एक विधेयक – “भारतीय वायुयान विधेयक” पारित हुआ. यह पिछले छह लोकसभा कार्यकालों में सबसे कम है. प्रश्नकाल पर भी भारी असर पड़ा. राज्यसभा में 19 में से 15 दिनों तक प्रश्नकाल नहीं चला. वहीं, लोकसभा में प्रश्नकाल केवल आठ दिनों में 10 मिनट से अधिक चल पाया. लोकसभा में किसी भी निजी सदस्य का व्यवसाय नहीं हुआ, जबकि राज्यसभा में केवल एक प्रस्ताव पर चर्चा हो पाई.
विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच टकराव
सत्र के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तनाव बढ़ गया. गुरुवार को सांसदों के बीच हाथापाई हुई. इसमें दो भाजपा सांसद घायल हो गए और राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई. सत्र की सबसे अहम बात संविधान के 75 साल पूरे होने पर हुई चर्चा रही. लेकिन हंगामे के कारण यह चर्चा भी प्रभावी नहीं हो पाई.
सभापति की अपील
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने अपने समापन भाषण में सभी दलों से राजनीतिक मतभेदों को भूलकर संसदीय गरिमा को बनाए रखने की अपील की. हालांकि, विपक्ष ने उनके ऊपर पक्षपात का आरोप लगाया. सत्र की सबसे अहम बात संविधान के 75 साल पूरे होने पर हुई चर्चा रही. लेकिन हंगामे के कारण यह चर्चा भी प्रभावी नहीं हो पाई.
-भारत एक्सप्रेस
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