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भारतीय शेयर बाजार 2024 में भी मजबूत, लगातार नौवें साल सकारात्मक रिटर्न की उम्मीद

यह उपलब्धि भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और वित्तीय बाजारों के प्रदर्शन को दर्शाती है. हालांकि, इस साल भारतीय शेयर और बॉन्ड बाजारों के लिए दो अलग-अलग हिस्सों वाला साल रहा.

Indian Stock Market

Indian stock market: भारतीय शेयर बाजार 2024 में लगातार नौवें साल सकारात्मक रिटर्न दर्ज करने की राह पर है. स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह उपलब्धि भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और वित्तीय बाजारों के प्रदर्शन को दर्शाती है. हालांकि, इस साल भारतीय शेयर और बॉन्ड बाजारों के लिए दो अलग-अलग हिस्सों वाला साल रहा. साल की पहली छमाही (H1) में आर्थिक गतिविधियों और कॉरपोरेट आय में मजबूती के कारण बाजार में तेजी रही. वहीं, दूसरी छमाही (H2) में आर्थिक विकास और आय में गिरावट के चलते बाजार में अस्थिरता बढ़ी.

ब्याज दरों और महंगाई का असर

दूसरी छमाही में अस्थिरता के पीछे मुख्य कारण उच्च ब्याज दरें रहीं. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने महंगाई को नियंत्रित करने और क्रेडिट जोखिम को संभालने को प्राथमिकता दी. रिपोर्ट में कहा गया, “2024 का साल दो हिस्सों में बंटा रहा. पहली छमाही में भारतीय शेयर और बॉन्ड बाजार ने मजबूत आर्थिक विकास और कॉरपोरेट आय के चलते अच्छा प्रदर्शन किया. दूसरी छमाही में अस्थिरता बढ़ गई.”

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि इन परिस्थितियों के कारण विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से बड़ी मात्रा में धन निकाला. इससे बाजार में नकारात्मकता बढ़ी. बावजूद इसके, इस साल निफ्टी 50 इंडेक्स में अब तक 9.21% और सेंसेक्स में 8.62% की बढ़त हुई है. यह भारतीय बाजारों की मजबूती को दर्शाता है.

2025 के लिए सकारात्मक उम्मीदें

आगे देखते हुए, रिपोर्ट ने 2025 को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्त किया है. इसमें कहा गया है कि घरेलू मांग में बढ़ोतरी, सरकारी खर्च में वृद्धि और बेहतर निजी उपभोग से आर्थिक सुधार होगा. ग्रामीण आय में भी बढ़ोतरी की संभावना है, जो इस सुधार को और बल देगी.

वैश्विक चुनौतियां

हालांकि, रिपोर्ट ने अमेरिकी राष्ट्रपति-चुनाव डोनाल्ड ट्रंप की प्रस्तावित नीतियों, विशेष रूप से बढ़े हुए टैरिफ, को भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए बड़ा खतरा बताया है. यदि व्यापार युद्ध तेज़ होता है तो भारत की आर्थिक वृद्धि पर इसका नकारात्मक असर हो सकता है.

फिर भी, रिपोर्ट का कहना है कि भारत की घरेलू केंद्रित अर्थव्यवस्था और अमेरिकी आयात में उसकी मामूली हिस्सेदारी (लगभग 3%) उसे वैश्विक व्यापार तनावों के गंभीर प्रभाव से बचा सकती है. घरेलू स्थितियों में सुधार और इस मजबूती के चलते भारत की अर्थव्यवस्था और बाजार 2025 में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं.


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-भारत एक्सप्रेस



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