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सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस विधायक चंदा सिंह गौर की याचिका पर मध्य प्रदेश चुनाव आयोग को जारी किया नोटिस, जानें क्या है पूरा मामला

कांग्रेस विधायक चंदा सिंह गौर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश राज्य चुनाव आयोग और अन्य पक्षों को 4 सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है. यह मामला 2023 विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल सिंह लोधी द्वारा उनकी चुनावी जीत को चुनौती देने से जुड़ा है.

Supreme Court

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कांग्रेस विधायक चंदा सिंह गौर की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश राज्य चुनाव आयोग सहित अन्य को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब देने को कहा है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच याचिका पर सुनवाई कर रही है. जस्टिस सूर्यकांत ने राहुल सिंह लोधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आत्माराम नादकर्णी से कहा कि सिवाय इसके की आप अपमानित महसूस कर रहे होंगे कि आपको एक महिला ने मैदान से बाहर कर दिया है और वह भी प्रचंड बहुमत से, आपको सुलह कर लेनी चाहिए, 9000 वोटों के साथ लोगों ने उनके पक्ष में मतदान किया.

SC ने हलफनामे के फॉर्मेट पर दिया ध्यान

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया था कि अदालत को केवल यह देखना है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 83 के तहत हलफनामे के लिए निर्धारित प्रारूप क्या है. इस मामले में किस तरह का हलफनामा दायर किया गया. कांग्रेस विधायक चंदा सिंह गौर ने भारतीय जनता पार्टी के सांसद राहुल सिंह लोधी द्वारा दायर चुनाव याचिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कांग्रेस विधायक चंदा सिंह गौर को राहत देने से इनकार कर दिया था. कांग्रेस विधायक ने सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 के तहत बीजेपी सांसद की याचिका को चुनौती दी है.

जानें क्या था मामला

बता दें कि मध्य प्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव में खड़गपुर, जिला टीकमगढ़ से चंदा सिंह गौर के निर्वाचन को राहुल सिंह लोधी ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. उन्होंने आरोप लगाया है कि चंदा सिंह गौर ने गलत जानकारी/शपथपत्र दिया था. इसके बाद चंदा सिंह गौर ने इसके जवाब में चुनाव याचिका खारिज करने की मांग की. उन्होंने यह दलील दिया कि राहुल सिंह लोधी द्वारा दायर हलफनामा निर्धारित प्रारूप में नही था.

हालांकि राहुल सिंह लोधी ने कहना है कि यह एक सुधार योग्य दोष है और इस आधार पर चुनाव याचिका खारिज नहीं किया जा सकता है. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पाया था कि हलफनामा आवश्यक प्रारूप के अनुसार था और इसके आधार पर चुनाव याचिका खारिज करने का कोई कारण नही है.

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-भारत एक्सप्रेस



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