डीजीपी हरगोबिंदर सिंह धालीवाल
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर इन दिनों देशभर में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. श्री विजयपुरम में पुलिस द्वारा जब्त की गई 36,000 करोड़ रुपये की नशीली दवाओं को नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू की गई है. अंडमान और निकोबार पुलिस ने भारत की सबसे बड़ी नशीली दवाओं की जब्ती, 6,000 किलोग्राम से अधिक, को विनष्ट करने का ऐतिहासिक अभियान शुरू किया है.
ड्रग्स के विनाश का तरीका और महत्व
इस मौके पर डीजीपी हरगोबिंदर सिंह धालीवाल ने कहा, “इतनी बड़ी मात्रा को खत्म करने के लिए दहन प्रक्रिया (इंसिनरेशन) अपनाई जा रही है. यह सबसे प्रभावी तरीका है क्योंकि अन्य तरीकों जैसे पानी में बहाना, खुले में जलाना या मिट्टी में दफनाना, प्रदूषण को और बढ़ाते हैं.”
उन्होंने आगे बताया कि इस कार्य को रिकॉर्ड समय में पूरा किया जा सका क्योंकि इसमें नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, गृह मंत्रालय और स्थानीय अधिकारियों का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ. दहन के लिए नागरिक प्राधिकरणों से अनुमति ली गई है, ताकि प्रदूषण पर नियंत्रण रखा जा सके.
पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान
ड्रग्स को नष्ट करने के दौरान पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने पर विशेष ध्यान दिया गया है. इस प्रक्रिया से निकलने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सभी मानकों का पालन किया गया. यह कदम न केवल नशीली दवाओं के खतरे को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी जागरूकता का परिचायक है.
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अपनी रणनीतिक स्थिति और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, अब नशीली दवाओं के खिलाफ लड़ाई में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है. इस अभियान ने न केवल स्थानीय प्रशासन को सशक्त किया है, बल्कि देश को एक सशक्त संदेश भी दिया है कि नशीली दवाओं के खिलाफ जंग में भारत कोई कसर नहीं छोड़ेगा.
-भारत एक्सप्रेस
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