केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 2025 का बजट पेश करने से पहले, उद्योग जगत के नेताओं और विशेषज्ञों ने वित्तीय प्रबंधन को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर की हैं. उन्होंने गिरते हुए रुपए के मूल्य को देश की अर्थव्यवस्था और बजट लक्ष्यों के लिए एक प्रमुख चुनौती बताया है. विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक बाजार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया कमजोर हो रहा है, जिससे आयात महंगा हो रहा है और व्यापार घाटा बढ़ने की संभावना है.
वर्तमान में भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 84.50 के आसपास ट्रेड कर रहा है, और इसके और कमजोर होने की संभावना जताई जा रही है. उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि रुपए की गिरावट से तेल, गैस, तकनीकी उपकरण और अन्य आयातित वस्तुएं महंगी हो सकती हैं. इससे सरकार पर सब्सिडी बढ़ाने और वित्तीय घाटा नियंत्रित करने का दबाव बढ़ सकता है.
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) के अध्यक्ष सुनील मेहता ने कहा, “गिरते रुपए का प्रभाव केवल आयात पर ही नहीं, बल्कि कुल मिलाकर देश की विकास दर और राजकोषीय स्थिति पर भी पड़ता है. सरकार को बजट में स्पष्ट उपाय लाने होंगे ताकि इस समस्या का समाधान किया जा सके.”
उद्योग जगत की मांगें:
उद्योग जगत ने सरकार से कुछ खास कदम उठाने की मांग की है, जैसे:
1. स्थिर मुद्रा नीति: रुपए के मूल्य में स्थिरता लाने के लिए सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक को मिलकर कदम उठाने चाहिए.
2. प्रोत्साहन योजनाएं: निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रोत्साहन योजनाएं लागू की जाएं ताकि विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हो.
3. आयात पर नियंत्रण: गैर-आवश्यक वस्तुओं के आयात को सीमित करने के लिए नीतियां बनाई जाएं.
4. फिस्कल प्रबंधन: वित्तीय घाटा नियंत्रित करने के लिए कड़े उपाय किए जाएं.
विशेषज्ञों का दृष्टिकोण:
भारतीय आर्थिक अनुसंधान परिषद (ICRIER) की वरिष्ठ अर्थशास्त्री डॉ. मीनाक्षी अग्रवाल ने कहा, “रुपया कमजोर होने से महंगाई बढ़ सकती है, जिससे आम जनता की जेब पर सीधा असर पड़ेगा. इसके अलावा, सरकार के लिए बजट संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा, खासकर यदि तेल के दाम बढ़ते हैं.”
हालांकि, सरकार का कहना है कि रुपए की कमजोरी एक वैश्विक मुद्दा है और कई अन्य देशों की मुद्राएं भी अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रही हैं. वित्त मंत्रालय ने आश्वासन दिया है कि आगामी बजट में वित्तीय घाटा कम करने, निर्यात बढ़ाने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी उपाय शामिल किए जाएंगे.
2025 के बजट से उम्मीदें:
बजट 2025 से उद्योग जगत को उम्मीद है कि सरकार न केवल रुपए की स्थिरता पर ध्यान देगी, बल्कि ऐसे उपाय भी करेगी जो निर्यात और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दें. इसके अलावा, टैक्स सुधार, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, और व्यापारिक माहौल को बेहतर बनाने की दिशा में बड़े ऐलान की संभावना है.
गिरते हुए रुपए ने उद्योग जगत और नीति निर्माताओं के सामने बड़ी चुनौती पेश की है. यह देखना दिलचस्प होगा कि बजट 2025 में वित्त मंत्री इस मुद्दे से निपटने के लिए क्या कदम उठाती हैं. साथ ही, यह भी तय है कि सरकार को ऐसे संतुलित उपाय लाने होंगे, जो आम जनता और उद्योग दोनों के हित में हों.
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– भारत एक्सप्रेस
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