फोटो-सोशल मीडिया (सांकेतिक)
UP News. भारत-नेपाल के सीमावर्ती जिलों में बिना मान्यता के संचालित मदरसों की आय के स्रोत का ब्योरा योगी सरकार ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से मांगा है. जानकारी के मुताबिक, सरकार द्वारा ऐसे मदरसों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने को कहा गया है, जिनकी फंडिंग जकात और चंदे से हो रही है.
मुख्यमंत्री का निर्देश मिलते ही अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने इसको लेकर छानबीन शुरू कर दी है. इन मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या को तीन श्रेणियों में बांटते हुए जानकारी जुटाई जा रही है. सिद्धार्थनगर में सर्वाधिक 528 मदरसे बिना मान्यता के संचालित मिले हैं, जबकि महराजगंज में ऐसे मदरसों की संख्या 74 है. गोरखपुर में भी 179 मदरसे बिना मान्यता के संचालित पाए गए हैं. वहीं उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के रजिस्ट्रार जगमोहन सिंह ने भारत-नेपाल की सीमा से सटे महाराजगंज, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती, बहराइच और लखीमपुर खीरी जिले के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को पत्र भेजकर मदरसों की आय के स्रोत के बारे में जानकारी देने को कहा है. सिद्धार्थनगर की सदर तहसील में 175, बांसी में 136, डुमरियागंज में 108, इटवा में 76 और शोहरतगढ़ में 33 मदरसे बिना मान्यता के संचालित पाए गए हैं.
शासन को सूची भेजी गई
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी तन्मय ने मीडिया को जानकारी दी कि बिना मान्यता के संचालित मदरसों को चिह्नित करने के बाद सूची शासन को भेज दी गई है और अब शासन ने मदरसों की आय के स्रोत के संबंध में जानकारी मांगी है. इसके बारे में पूरी जानकारी जुटाई जा रही है. इसके अलावा छात्रों की संख्या के अनुसार मदरसों का श्रेणीवार विभाजन कराने को भी कहा गया है, जिसकी प्रक्रिया जारी है.
बिना मान्यता के चल रहे सैकड़ों मदरसे
मीडिया सूत्रों के मुताबिक सीमा से सटे कई गांवों में अधिकांश मदरसे बिना मान्यता के संचालित हो रहे हैं. सीमा से सटे नेपाल के रुपंदेही जिले में भी 100 से अधिक मदरसे संचालित हैं. इनमें 15 मदरसों की गतिविधियां संदिग्ध पाई गई हैं. महाराजगंज के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी लालमन ने मीडिया को जानकारी दी कि सभी मदरसों के आर्थिक स्रोतों की जांच चल रही है. जल्द ही इसकी सूचना उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के रजिस्ट्रार को भेज दी जाएगी.
-भारत एक्सप्रेस
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