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UP News: 16 साल पुराने मामले में ओबरा के तत्कालीन थानाध्यक्ष पर केस दर्ज, लगे कई गम्भीर आरोप

Sonbhadra: मामला उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले का है. पुलिस कस्टडी में घायल की मौत के मामले में एडीजे की अदालत के आदेश पर केस दर्ज किया गया है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

UP News: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र से एक बड़ी खबर सामने आ रही है. यहां पुलिस कस्टडी में घायल की मौत मामले में ओबरा के तत्कालीन थानाध्यक्ष पर केस दर्ज कर लिया है. यह मामला 16 साल पुराने ललई हत्याकांड से जुड़ा है, जिसमें एडीजे की अदालत के आदेश पर केस दर्ज किया गया है. तत्कालीन थानाध्यक्ष पर गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को पुलिस कस्टडी में रखना और इलाज के लिए न छोड़ने सहित कई आरोप लगे हैं.

इस पूरे मामले में कोर्ट ने माना कि समय से उपचार न उपलब्ध कराए जाने के कारण ललई की मौत हुई थी. इसके लिए दोषी पाए गए तत्कालीन थानाध्यक्ष दिवाकर सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश गया है. एसपी को 304 (क) आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया गया है. एसपी के निर्देश और प्रभारी निरीक्षक ओबरा मिथिलेश मिश्रा की तहरीर पर मामला दर्ज किया गया है. ओबरा थाने में तत्कालीन थानाध्यक्ष दिवाकर सिंह के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद कई बिंदुओं पर पूरी छानबीन की जा रही है.

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डाक्टरों ने बताया था कि दो घंटे पहले ही हो चुकी है मौत

बताया जा रहा है कि इस मामले में घायल के सिर पर गंभीर चोट लगी थी. इसके बावजूद घंटों उसे कस्टडी में रखा गया था. जब घायल की मौत हो गई तो उसके परिवार वालों को हालत सीरियस होने की जानकारी दी गई थी. अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने बताया था कि दो घंटे पहले ही घायल की मौत हो चुकी है. इसी मामले में ललई हत्याकांड की सुनवाई के दौरान अदालत के सामने जो तथ्य सामने आए, उसी के आधार पर फ़ैसला सुनाते समय एडीजे राहुल मिश्रा की अदालत ने एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिया है. सुनवाई के दौरान पेश हुए गवाहों ने अदालत को पुलिस कस्टडी में मौत की जानकारी दी थी.

परिजनों ने लगाए थे आरोप

इस मामले में परिजनों का आरोप था कि काफी मिन्नत के बावजूद इलाज के लिए ललई को नहीं छोड़ा गया था. मारपीट में घायल होने के बाद ललई को थाने लाया गया था. मारपीट करने वाले आरोपियों को तो कुछ देर बाद थाने से जाने दिया गया था लेकिन सिर में गंभीर चोट लगने के बावजूद ललई को दवा-इलाज के लिए पुलिस ने छोड़ने से मना कर दिया था. पुलिस की ओर से भी उसके लिए इलाज का कोई बंदोबस्त नहीं किया गया था. हिरासत में लेने के अगले दिन, मौत होने के बाद परिवार वालों को हालत सीरियस की जानकारी दी गई थी, जबकि अस्पताल ले जाने पर मालूम हुआ था कि उसकी मौत दो घंटे पहले ही हो गई थी, लेकिन पुलिस ने घरवालों को गुमराह किया था और सही जानकारी नहीं दी थी.

-भारत एक्सप्रेस

 

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