खार्तूम में भीषण लड़ाई जारी रहने के बीच कई देशों ने सूडान की राजधानी से अपने राजनयिकों और नागरिकों को निकाल लिया है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और ब्रिटेन ने रविवार को घोषणा की कि उन्होंने अपने राजनयिकों को देश से बाहर भेज दिया है, जबकि फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्पेन ने कहा है कि वे भी अपने लोगों को वहां सूडान से निकालने की योजना बना रहे हैं.
भारतीय वायु सेना के दो सी-130जे विमान स्टैंडबाय पर तैनात
भारतीय वायु सेना के दो सी-130जे विमान वर्तमान में जेद्दा में स्टैंडबाय पर तैनात हैं, जबकि आईएनएस सुमेधा भी युद्धग्रस्त सूडान से भारतीयों को निकालने के लिए पोर्ट सूडान पहुंच गया है. भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, हम सूडान की स्थिति पर नजर रख रहे हैं. हम उन भारतीयों की सुरक्षित आवाजाही के लिए विभिन्न साझेदारों के साथ भी निकटता से समन्वय कर रहे हैं, जो सूडान में फंसे हुए हैं और उन्हें निकालना चाहते हैं.
100 लोगों को निकाला
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने रविवार सुबह तीन चिनूक हेलीकॉप्टरों से अपने देश के लगभग 100 लोगों को निकाला. यूके सरकार ने भी ब्रिटिश राजनयिकों और उनके परिवारों को देश से बाहर निकालने में कामयाबी हासिल की। ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर ने बताया कि विदेश मंत्री जेम्स क्लीवरली ने कहा कि सूडान में शेष ब्रिटिश नागरिकों को निकालने के विकल्प सीमित हैं. मिस्र ने सूडान से मिस्र के अपने देश के 436 नागरिकों को निकाला है.
इराक ने घोषणा की है कि वह खार्तूम से 14 इराकी नागरिकों को पोर्ट सूडान क्षेत्र में सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में सफल रहा है. इससे पहले सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को घोषणा की थी कि सूडान से विदेशी राजनयिकों और अधिकारियों समेत 150 से अधिक लोगों को निकालकर जेद्दा पहुंचा दिया गया है.
ऑपरेशन में भारत के नागरिकों को निकाला गया
सऊदी अरब के नौसैनिक बलों द्वारा सेना की अन्य शाखाओं के समर्थन से किए गए ऑपरेशन में भारत सहित 12 अन्य देशों के 91 सऊदी नागरिकों और लगभग 66 नागरिकों को सूडान से निकाला गया था. कुवैत, कतर, यूएई, ट्यूनीशिया, पाकिस्तान, बुल्गारिया, बांग्लादेश, फिलीपींस, कनाडा और बुर्ना फासो के नागरिकों को भी निकाला गया है. सेना में आरएसएफ के एकीकरण पर असहमति के कारण नौवें दिन राजधानी खार्तूम और आसपास के शहरों में सूडानी सेना और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) के बीच संघर्ष जारी है.