प्रतीकात्मक तस्वीर.
Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने सात साल की बच्ची के साथ यौन शोषण के मामले में दोषी को सुनवाई गई सात साल की सजा को बरकरार रखा है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पीड़िता की गवाही विश्वास पैदा करने वाली है. दोषी यह साबित करने में विफल रहा है कि बच्ची को कुछ सिखाया-पढ़ाया गया था. कोर्ट ने कहा कि यौन अपराध के मामलों में पीड़ित बच्चे के बयान पर विचार करते समय अदालत को संवेदनशील होना चाहिए. वैसे बच्चे संवेदनशील होते हैं और उन्हें सिखाए-पढ़ाए जाने की संभावना से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
अदालत ने पीड़िता के बयान को विश्वसनीय पाया
जस्टिस अमित महाजन ने कहा कि जब मामले की सुनवाई करने वाली अदालत ने पीड़िता के बयान को विश्वसनीय पाया है. साथ ही जब पीड़िता पूरी सुनवाई के दौरान अपने बयान पर अड़ी रही है, तो ऐसे में अपीलकर्ता की यह आशंका कि पीड़िता को बहकाया गया है, पीड़िता के बयान को नजरअंदाज करने के लिए पर्याप्त नहीं है. उन्होंने यह कहते हुए दोषी की अपील को खारिज कर दिया जिन्होंने अपने सात साल की सजा को चुनौती दी थी.
अदालत ने कहा कि निचली अदालत ने अपराध की गंभीरता को सही ढंग से समझा है और इस बात को ध्यान में रखा है कि घटना के समय पीड़िता की उम्र मात्र सात साल थी. जबकि, आरोपी 37 वर्ष का वयस्क व्यक्ति था.
क्या है पूरा मामला?
यह घटना दिसंबर 2016 की है जब बच्ची माचिस लेने के लिए अपने मकान मालिक के कमरे में जा रही थी और आरोपी ने उसे अपने कमरे में खींच लिया था. अभियोजन पक्ष के कोर्ट को बताया था कि आरोपी ने उसके साथ छेड़छाड़ की और नाबालिग के साथ बलात्कार का भी प्रयास किया. तभी बच्ची का भाई उसे खोजते हुए आया और उसने अपनी बहन को बचाया था.
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