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76वां कान फिल्म फेस्टिवल: इन भारतीय फिल्मों का बजेगा डंका

जीयान डु बरी एक प्रेम कथा है जिसमें 18 वी शताब्दी के फ्रांस के जन जीवन और राज महल की दिनचर्या को रचा गया है।

कनु बहल की 'आगरा' का एक दृश्य

सुप्रसिद्ध अमेरिकी अभिनेता माइकल डगलस ने 76वें कान फिल्म समारोह का शुभारंभ किया। यह समारोह 27 मई तक चलेगा। इस अवसर पर उन्हें कान फिल्म समारोह का लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड ‘आनरेरी पाम डि ओर’ प्रदान किया गया। भारतीय दर्शक माइकल डगलस को उनकी चर्चित फिल्म ‘बेसिक इंस्टिंक्ट’ (1992) के लिए याद करते हैं। जब भारत के अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में यह फिल्म दिखाई जा रही थी तो भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था। भारतीय दर्शकों ने पहली बार किसी फिल्म में इतने खुले सेक्स दृश्य देखे थे। यह फिल्म कान फिल्म फेस्टिवल के भी प्रतियोगिता खंड में थी।

फ़्रेंच अभिनेत्री माइवेन की फिल्म ‘ जीयान डु बरी ‘ के प्रदर्शन के साथ ग्रैंड थियेटर लुमियर में 76 वें कान फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत हो गई। इस फिल्म में माइवेन ने जीयान डु बरी की केंद्रीय भूमिका निभाई है जबकि फ्रांस के राजा लुई पंद्रहवें की भूमिका अमेरिकी अभिनेता जानी डेप ने की है। यह फिल्म जानी डेप और उनकी पूर्व पत्नी अंबर हर्ड के बीच चल रहे यौन प्रताड़ना के मुकदमों के कारण चर्चा में है। यूरोप और अमेरिका के कई पत्रकारों ने जानी डेप की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म ‘ जीयान डु बरी ‘ को प्रतिष्ठित कान फिल्म फेस्टिवल की उद्घाटन फिल्म बनाए जाने पर ऐतराज जताया है और फेस्टिवल डायरेक्टर थेरी फ्रेमों से प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल किया कि एक ऐसे अभिनेता को इतना बड़ा मंच क्यों दिया जा रहा है जिसपर यौन प्रताड़ना का मुकदमा चल रहा है। थेरी फ्रेमों ने कहा कि ‘ कान फिल्म फेस्टिवल विचारों और अभिव्यक्ति की हर तरह की आजादी का समर्थन करता है। जब तक कानूनी रूप से किसी फिल्म या अभिनेता को बैन नहीं किया जाता तब तक हम उन्हें कैसे रोक सकते हैं। हॉलीवुड के मशहूर अभिनेता वुडी एलन ने भी इस मामले में कान फिल्म फेस्टिवल का समर्थन किया है और कहा है कि यूरोपीय फिल्म संस्कृति अमेरिका के मुकाबले ज्यादा उदार और सहनशील है।

जीयान डु बरी एक साधारण कामकाजी लड़की की कहानी है जो अपनी सुंदरता और बुद्धि के सहारे आगे बढ़ते हुए एक के बाद एक सामाजिक स्तर हासिल करती जाती है और फ्रांस के राजा लुई पंद्रहवें तक पहुंच जाती है। राजा उस पर दीवाना है और उसे अपने राजमहल वर्साय पैलेस में दरबारी की हैसियत देकर रख लेता है। राजा का कहना है कि जीयान पूरे फ्रांस में अकेली ऐसी औरत है जो उसे राजा के रूप में नही, एक मर्द के रूप में देखती है। दोनो एक दूसरे को बेइंतहा प्रेम करने लगते हैं। 10 मई 1774 को चिकनपाक्स ( चेचक) की बीमारी से राजा की मृत्यु के बाद फिल्म में दिखाया गया है कि वह वर्साय पैलेस छोड़कर एक चर्च की मानेस्ट्री में संन्यासिन बन जाती है। ऐतिहासिक सच्चाई यह है कि फ्रांस की राज्यक्रांति के दौरान 1789 में उसे फांसी पर लटका दिया गया था। फिल्म की निर्देशिका माईवेन का कहना है कि उन्होंने जान बूझकर फिल्म का काल्पनिक सुखांत किया है।

जीयान डु बरी एक विलक्षण प्रेम कथा है जिसमें 18 वी शताब्दी के फ्रांस के जन जीवन और राज महल की दिनचर्या को रचा गया है। एक खालिस अमेरिकी अभिनेता जान डेप ने फ्रांस के राजा की भूमिका में यादगार काम किया है। कैमरा अधिकतर वर्साय पैलेस के भीतर ही घूमता है और राज महल के जीवन, दरबार और रीति रिवाजों को सूक्ष्मता से दर्शाता है। एक साधारण लड़की जीयान की उंचा उठने की हसरतों में चाहे जितनी चालाकी छिपी हो, फ्रांस के राजा लुई पंद्रहवें के प्रति उसका प्रेम सच्चा और निष्पाप है। सबसे बड़ी बात यह कि राजा भी इस प्रेम को निभाता है जो शुरू तो देह के आकर्षण से होता है पर उसके आगे चला जाता है। फिल्म में अभिनय के साथ ही ड्रेस डिजाइन और सिनेमैटोग्राफी कमाल की है। हम फिल्म देखते हुए अठारहवीं शताब्दी के फ़्रांस और उस समय घटित एक विलक्षण प्रेम कहानी को देखते और महसूस करते हैं।

इन भारतीय फिल्मों का जलवा

दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण फिल्मी मेले में इस बार भारत से अनुराग कश्यप की ‘कैनेडी ‘( मिडनाइट स्क्रीनिंग), कनु बहल की ‘आगरा’ ( डायरेक्टर्स फोर्टनाइट) एफ टी आई आई, पुणे के युद्ध जीत बसु की मराठी शार्ट फिल्म ‘ नेहेमिच ‘ और मणिपुर के दिग्गज फिल्मकार अरिबम स्याम शर्मा की शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर द्वारा रिस्टोर की गई ‘ ईशानौ ‘ ( कान क्लासिक) में दिखाई जा रही है। अनुराग कश्यप की ‘ कैनेडी ‘ को इस बार न सिर्फ महत्वपूर्ण स्थान मिला है वल्कि इसे 24-25 मई को चार- पांच बार दिखाया जा रहा है। कनु बहल की आगरा को भी कई बार दिखाया जा रहा है।

 

हॉलीवुड के दिग्गज फिल्मकार मार्टिन स्कारसेसे की ‘किलर्स आफ द फ्लावर मून’ और जेम्स मैनगोल्ड की हैरिसन फोर्ड की मुख्य भूमिका वाली फिल्म ‘ इंडियाना जोन्स एंड द डायल आफ डेस्टिनी’ को उनके निर्माताओं ने प्रतियोगिता खंड से बाहर स्पेशल स्क्रीनिंग/ आउट आफ कंपीटिशन रखने का फैसला किया है। लेकिन इस बार दुनिया भर के बहुत सारे दिग्गज फिल्मकारों की फिल्में प्रतियोगिता खंड में दिखाई जा रही है जिन्हें कान फिल्म समारोह में बेस्ट फीचर फिल्म का ‘ पाम डि ओर ‘ पुरस्कार मिल चुका है। इनमें जापान के कोरे ईडा हिरोकाजू ( मोंस्टर), यूके के केन लोच (दि ओल्ड ओक), तुर्की के नूरी बिल्गे सेलान ( ड्राई ग्रासेस), फिनलैंड के अकी कौरिस्माकी ( फालेन लीव्स) ,जर्मनी के विम वेंडर्स ( परफेक्ट डेज) , मार्को बेलोचियो ( किडनैप्ड), ट्यूनीशिया की कौथर बेन हनिया ( फोर डाटर्स), टोड हेंस ( मई दिसंबर), वेस एंडरसन ( स्टेरायड सिटी) आदि शामिल हैं। इस बार युवा फिल्मकारों की पहली फिल्में हर खंड में प्रमुखता से दिखाई जा रही है।

-भारत एक्सप्रेस



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