DRDO
रक्षा विभाग के सचिव आर-डी और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष समीर वी कामत ने भारत को एक शुद्ध रक्षा निर्यातक बनाने के लिए हर संभव समर्थन का आश्वासन दिया. रक्षा विभाग के आर-डी सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष ने 27 मई को खुले मंथन सत्र ‘चिंतन’ की अध्यक्षता की, जिसमें 180 से अधिक उद्योगों ने भाग लिया.
पूर्ण आत्मनिर्भरता हासिल
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि DRDO के अध्यक्ष ने उद्योग को आश्वासन दिया कि DRDO उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करेगा और भारत को एक शुद्ध रक्षा निर्यातक बनाने के लिए उनकी क्षमताओं के निर्माण में एक संरक्षक की भूमिका निभाएगा. डीआरडीओ के अध्यक्ष ने नियमित आधार पर इस तरह की पहल करने की आवश्यकता पर जोर दिया क्योंकि ये आयोजन पूर्ण आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए भारतीय रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक नई प्रेरणा प्रदान करते हैं.
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा अनुसंधान केंद्र इमारत (RCI), हैदराबाद में एक दिवसीय उद्योग संवाद और विचार-मंथन सत्र का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य MSMEs और स्टार्ट-अप सहित सभी रक्षा उद्योगों को उनकी चिंताओं को समझने के लिए एक मंच पर लाना था. डीआरडीओ की विभिन्न उद्योग-अनुकूल पहलों और नीतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना.
‘प्रौद्योगिकी हस्तांतरण’
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि निदेशक, उद्योग इंटरफेस और प्रौद्योगिकी प्रबंधन निदेशालय (डीआईआईटीएम) अरुण चौधरी ने डीआरडीओ की विभिन्न पहलों और नीतियों का संक्षिप्त विवरण दिया, जो भारतीय उद्योगों का समर्थन करते हैं. उन्होंने नीति की मुख्य विशेषताओं को सामने लाते हुए डीआरडीओ द्वारा उद्योग को ‘प्रौद्योगिकी हस्तांतरण’ की प्रक्रिया के बारे में बताया.
उन्होंने विकास सह उत्पादन भागीदारों के रूप में उद्योगों के चयन की आवश्यकता और प्रक्रिया के बारे में बताया. प्रौद्योगिकी विकास कोष (टीडीएफ) योजना की मुख्य विशेषताएं उद्योग को उपयुक्त रूप से समझाई गईं. भारतीय उद्योग द्वारा डीआरडीओ की नीति और इसकी अवसंरचना परीक्षण सुविधा और डीआरडीओ पेटेंट के उपयोग पर प्रक्रियाओं का विवरण भी दिया.
– भारत एक्सप्रेस
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