इटली का वेनिस शहर एक शानदार पर्यटन स्थल और ऐतिहासिक चमत्कार के रूप में जाना जाता है. वेनिस का सदियों पुराना इतिहास रहा है लेकिन इस अद्भुत शहर के जटिल अतीत के प्रमाण हर जगह फैले हुए हैं, खासकर इसकी नहरों में. जब कोई यात्री इस शहर को देखता है, तो लगता है कि वेनिस हमेशा से पानी पर तैर रहा है. यह बात कुछ हद तक सही भी है. लेकिन हजारों साल पहले इस शहर को पानी के ऊपर कैसे बसाया गया, यह एक रहस्यमय और अद्भुत कहानी है. न सड़कों का कोई नामोनिशान, न ठोस जमीन, और न ही पीने का साफ पानी, लेकिन फिर भी वेनिस के निवासियों ने इसे न केवल एक बसेरा बनाया, बल्कि यूरोप के सबसे शक्तिशाली और अमीर शहरों में तब्दील कर दिया.
कहा जाता है कि 5वीं शताब्दी में जब बर्बर आक्रमणकारियों और खानाबदोश कबीले यूरोप के विभिन्न हिस्सों पर हमला कर रहे थे, वेनिस के आसपास के लोग अपनी सुरक्षा के लिए समुद्र के किनारे बसे छोटे-छोटे द्वीपों पर चले गए. ये द्वीप दलदली और नरम थे, जो स्थायी जीवन के लिए बिलकुल उपयुक्त नहीं थे. परंतु इन द्वीपों पर बसना लोगों की मजबूरी थी.
कैसे बसाया गया पानी पर
कहानी शुरू होती है एक व्यक्ति से, जिसने गलती से अपने चप्पू को जमीन में गाड़ा और पाया कि वह नीचे जाकर ठोस हो गया. यही अनुभव वेनिस शहर की नींव का आधार बना. इसके बाद, क्रोएशिया के जंगलों से पेड़ों के तने लाए गए और उन्हें जमीन में गाड़कर एक स्थिर प्लेटफॉर्म बनाया गया. लगभग 5 मीटर गहराई में लकड़ी के तने दलदली जमीन में गाड़े गए. इन तनों को एक-दूसरे के करीब गाड़कर, उनके ऊपर लकड़ी के तख्त बिछाए गए. इसके बाद, पत्थरों के बड़े ब्लॉक रखे गए ताकि यह नींव पानी के ऊपर स्थिर रह सके. यह सरल लेकिन प्रभावी निर्माण तकनीक आज भी वेनिस के भवनों को सहारा दे रही है.
जब मजबूत नींव तैयार हो गई, तब इमारतों का निर्माण शुरू हुआ. वेनिस के लोग तीन मंजिला मकान बनाते थे ताकि वजन हल्का रहे. मकानों की दीवारें ईंटों से बनाई गईं, और उनके बीच एक खास तरह का गारा लगाया गया जिससे दीवारें मजबूत और लचीली बनी रहें. मकानों के अंदर के फर्श और दीवारें लकड़ी के तख्तों से बनाई गईं, जिन्हें लोहे की छड़ों से मजबूती दी गई. यह तकनीक न केवल मजबूत थी, बल्कि इसे देखकर अन्य द्वीपों पर भी इसी प्रकार के घर बनने लगे.
द्वीपों को जोड़ने के लिए पुलों का निर्माण
वेनिस के 150 से अधिक द्वीपों को जोड़ने के लिए पुलों की आवश्यकता महसूस हुई. सबसे पहला स्टोन ब्रिज रियाल्टो में बनाया गया. इस पुल को बनाने के लिए 12,000 लकड़ी के तने गाड़े गए और उनके ऊपर 10,000 टन वजन के पत्थरों का आर्च बनाया गया. यह पुल इतना मजबूत था कि इसी तकनीक से पूरे वेनिस में अन्य पुल भी बनाए गए.
व्यापार और शक्ति का केंद्र बना वेनिस
वेनिस की भौगोलिक स्थिति ने इसे व्यापार के लिए एक आदर्श केंद्र बना दिया. एड्रियाटिक सागर के किनारे स्थित यह शहर सीधे मेडिटेरेनियन सागर से जुड़ा था, जो यूरोप, अफ्रीका और मध्य पूर्व के व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग था. यहां से सामान को सस्ते समुद्री मार्गों के जरिए पश्चिमी और पूर्वी यूरोप तक भेजा जाता था. इस कारण वेनिस का व्यापार तेजी से बढ़ा और यह यूरोप का सबसे अमीर शहर बन गया.
पानी की किल्लत और समाधान
एक लैगून पर बने और खारे भूमध्य सागर से घिरे होने के कारण, यह शहर हमेशा पीने के पानी की समस्या से जूझता रहा था. वेनिस में पीने का पानी लाना एक बड़ी चुनौती थी. शुरुआत में, पानी को मुख्य भूमि से ड्रम्स में भरकर लाया जाता था. लेकिन जब यहां की आबादी 1,70,000 तक पहुंच गई, तो पानी की भारी किल्लत होने लगी.
वेनिस के निवासियों ने बारिश के पानी को जमा करने का तरीका खोजा. कुछ खास द्वीपों पर गहरे गड्ढे खोदे गए, जिनकी दीवारों को वॉटरप्रूफ बनाया गया. इन गड्ढों में कुएं बनाए गए और उनके चारों ओर पत्थर और रेत रखी गई. बारिश का पानी इन गड्ढों में फिल्टर होकर जमा होता था और पीने योग्य बन जाता था.
अद्भुत सीवरेज सिस्टम
वेनिस में जमीन न होने के कारण अंडरग्राउंड सीवरेज सिस्टम बनाना संभव नहीं था. 16वीं शताब्दी में, घरों से निकलने वाले कचरे और गंदे पानी को नहरों में पहुंचाने के लिए नालियां बनाई गईं. ये नालियां नहर के सामान्य जलस्तर से ऊपर थीं, जिससे तरल कचरा आसानी से नहर में गिर जाता था. ठोस कचरा नालियों में रह जाता, जिसे समुद्र की ज्वारें साफ कर देती थीं. यह प्रक्रिया आज भी वेनिस में काम करती है.
वेनिस में न सड़कें हैं, न मोटर गाड़ियां. यहां यातायात के लिए नहरों का इस्तेमाल किया जाता है. यह दुनिया का इकलौता ऐसा शहर है, जहां जलमार्ग और पैदल पथ दोनों अलग-अलग हैं. हर साल वेनिस को 60 लाख से अधिक पर्यटक देखने आते हैं. हालांकि, यहां की स्थानीय जनसंख्या अब 50,000 से भी कम रह गई है.
-भारत एक्सप्रेस
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