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Bihar Train Disaster: जब देखते ही देखते उफनती बागमती में समा गई थी ट्रेन की 7 बोगियां, 300 लोगों की हुई थी मौत, कभी नहीं मिले सैकड़ों लापता यात्री !

आधिकारिक बयान में कहा गया था कि सभी बोगियां यात्रियों से खचाखच भरी हुई थीं और छत पर भी यात्री थे. रिपोर्टों में कहा गया है कि ट्रेन बेहद धीमी गति से चल रही थी.

Bihar Train Disaster

Bihar Train Disaster

Bihar Train Disaster: दिल्ली से असम के कामाख्या जंक्शन जा रही एक्सप्रेस ट्रेन के बुधवार रात 9.35 बजे बिहार में पटरी से उतर जाने से 4 लोगों की मौत हो गई थी. इस हादसे में करीब 100 लोग घायल भी हुए थे. हालांकि, अब स्थिति समान्य हो गई है. पटरियों की मरम्मत कर के परिचालन फिर से शुरू कर दिया गया है. इस ट्रेन हादसे ने 42 साल पहले बिहार में हुए देश के सबसे भीषण रेल हादसे की याद दिला दी. उस हादसे में करीब 300 लोगों की मौत हुई थी. हालांकि, स्थानीय लोगों ने 1500 लोगों की मौत का अंदाजा लगाया था.

वो काला दिन

साल था 1981 और तारीख थी 6 जून. बिहार और देश के लिए इसे काला दिवस कहें तो कोई हैरत की बात नहीं होगी. इस दिन बिहार ने वो दंश झेला जो फिर कभी नहीं हुआ. एक पैसेंजर ट्रेन खगड़िया के मानसी स्टेशन से सहरसा रवाना हुई. उस समय सहरसा जाने के लिए ट्रेन ही उपयुक्त साधन हुआ करता था. बदला, धमारा, कोपड़िया, सिमरी बख्तियारपुर भी इसी रूट पर था. इन जगहों के लोग भारी मात्रा में ट्रेन में सवार थे, मतलब रेलगाड़ी खचाखच भरी हुई थी. हालत ये थी कि कुछ लोग ट्रेन के ऊपर भी बैठे हुए थे और कुछ लोग पोदाम पकड़ कर खड़े थे.

ढहा पुल और उफनती नदी में समा गई 7 बोगियां

जब समस्तीपुर बनमनखी एक्सप्रेस बालाघाट और धर्मघाट के बीच पहुंची. अचानक बागमती नदी के ऊपर बना पुर ढह गया. देखते ही देखते ट्रेन की 9 बोगियों में से 7 उफनती बागमती नदी नदी में समा गई. घटना स्थल पर मातम का माहौल था. लोग अपनों को ढूंढ़ रहे थे. सैकड़ों लोग लापता हो गए थे. रिपोर्टों के मुताबिक, इस हादसे में लगभग 300 लोगों की मौत हुई थी. रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भीषण चक्रवात के दौरान पूर्वोत्तर रेलवे के मानसी-सहरसा खंड पर बदलाघाट और धर्मघाट के बीच दुर्घटना घटी.

ट्रेन में करीब 500 यात्री सवार थे, लेकिन स्थानीय लोगों ने दावा किया था कि ट्रेन में करीब 1500 लोग सवार थे. यह हादसा रेलवे पुल के ढहने से हुआ. आधिकारिक बयान में कहा गया था कि सभी बोगियां यात्रियों से खचाखच भरी हुई थीं और छत पर भी यात्री थे. रिपोर्टों में कहा गया है कि ट्रेन बेहद धीमी गति से चल रही थी. लेकिन तूफान की वजह से पुल ढह गया और ट्रेन की बोगियां नदी में जा समाई.

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हादसे का सही कारण अब तक अज्ञात

ट्रेन के पटरी से उतरने का सही कारण पूरी तरह से अब तक ज्ञात नहीं है. कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि ट्रेन चालक ने पटरी पर आई गाय से टकराने से बचने के लिए अचानक ब्रेक लगा दिया. मूसलाधार बारिश के कारण फिसलन की स्थिति भी संभवतः एक कारण थी. मानसून की बारिश की वजह से नदी भी उफान पर थी. इसके अलावा, आपदा स्थल के पास तुरंत मदद उपलब्ध नहीं थी. जब बचावकर्मी अंततः पहुंचे, तो उन्होंने कई दिनों तक जीवित बचे लोगों की तलाश की. कम से कम 250 मौतों की पुष्टि की गई; सैकड़ों लापता यात्री कभी नहीं मिले.

-भारत एक्सप्रेस



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