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पैगंबर मोहम्मद से लेकर ईसा मसीह तक…एक ही जगह पर 3 धर्मों का दावा, कहानी यरूसलम की

एक तीसरे देश जॉर्डन को हरम अल शरीफ या फिर टेंपल माउंट के प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी गई. साथ ही ये भी समझौता हुआ कि मुस्लिम यहूदियों को बाहर से उस टेंपल माउंट के दर्शन की इजाजत देंगे. हालांकि वो पूजा पाठ नहीं करेंगे. यही सिलसिला अब भी चला आ रहा है.

story of Jerusalem

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Israel Hamas war: फ़िलिस्तीनी आतंकी समूह हमास के बर्बर हमले और इज़रायल की जवाबी कार्रवाई में लगभग 1,000 लोग मारे गए हैं. शनिवार को अचानक हमास ने इजरायल के शहरों और गांवों में ताबड़तोड़ 5000 रॉकेट दागे. आतंकी समूह के लड़ाकों ने इजरायली नागरिकों और सैनिकों को भी बंधक बना लिया है. जावाबी कार्रवाई करते हुए इजरायल ने गाजा पट्टी को लगभग श्मशान में तब्दील कर दिया है. इजरायल ने गाजा पट्टी में चुन-चुनकर हमास के लड़ाकों को मौत के घाट उतारना शुरू कर दिया है. इतना ही नहीं गाजा पट्टी में जाने वाले खाद्य सामग्री को भी रोक दिया गया है. हमास के लड़ाके दाना-पानी के लिए मोहताज हो गए हैं. पूरे शहर की बिजली भी काट दी गई है. टाइम्स ऑफ इज़राइल की रिपोर्ट में कहा गया है, समूह के सैन्य कमांडर मुहम्मद दीफ ने एक रिकॉर्ड किए गए संदेश में कहा, “आज लोग अपनी क्रांति फिर से हासिल कर रहे हैं.” लेकिन क्या आप जानते हैं कि दोनों देशों के बीच दशकों से जारी विवाद की जड़ 35 एकड़ जमीन है, जिस पर तीन धर्मों की मान्यताएं हैं?

अल-अक्सा मस्जिद मुसलमानों के लिए महत्वपूर्ण क्यों है?

अल-अक्सा मस्जिद को मक्का और मदीना के बाद मुसलमान तीसरी सबसे पवित्र मस्जिद मानते हैं. मस्जिद एक पहाड़ी पर स्थित है जिसे यहूदी हर हा-बायित या टेम्पल माउंट के नाम से जानते हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम इसे अल-हरम अल-शरीफ या नोबल सैंक्चुअरी के नाम से जानते हैं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह जगह यरूसलम के पुराने शहर में स्थित है. इतना ही नहीं, यहां मस्जिद के अलावा मुस्लमानों का एक और पवित्र स्थान है जिसे डोम ऑफ द रॉक कहा जाता है. इसे अक्सर आपने तस्वीरों में चमकते हुए देखा होगा. इस्लाम को मानने वालों का कहना है कि सन 621 में पैगंबर मोहम्मद यहीं से जन्नत की ओर गए थे. बैजेन्टाइन साम्राज्य के समय में मुस्लिमों ने यहूदियों पर हमला किया और इस जगह को जीत लिया. बाद में उमय्यद खलीफाओं ने एक भव्य मस्जिद का निर्माण कराया.

यहूदियों के लिए खास क्यों है टेंपल माउंट?

यहूदियों में मान्यता है कि दुनिया का पहला इंसान आदम हैं और हमसब आदम के ही वंशज हैं. उस आदम को बनाने के लिए ईश्वर ने टेंपल माउंट से ही मिट्टी उठाई थी. इतना ही नहीं यहूदियों के बीच एक और मान्यता यह है कि यहूदियों के पहले पैगंबर अब्राहम से ईश्वर बहुत खुश थे. उन्होंने अब्राहम से उसके बेटे इसहाक की बलि मांग ली. इसके लिए ईश्वर ने अब्राहम को एक जगह भी बताई. जब अब्राहम ईश्वर की बताई जगह पर पहुंचे तो ईश्वर उनकी भक्ति से बहुत खुश हुए. उन्होंने इसहाक की जगह भेड़ को बलि देने के लिए कहा. यहूदियों का मानना है कि यह घटना उसी टेंपल माउंट पर हुई. इजरायल के राजा किंग सोलोमन ने यहां एक भव्य मंदिर बनवाया, जिसे यहूदी फर्स्ट टेंपल कहते हैं.

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विवाद किस लिए?

अब जब जगह एक ही हो और तीन धर्मों की मान्यताएं उससे जुड़ी हों तो विवाद होना लाजमी है. यहूदियों और मुसलमानों के बीच कई बार इस मस्जिद और टेंपल माउंट के लिए युद्ध हुआ. हालांकि, इस क्षेत्र पर सबसे अधिक कब्जा ईसाइयों का रहा. ईसाइयों का भी मानना है कि ईसा मसीह ने यहीं उपदेश दिया था और यहीं उन्हें सूली पर चढ़ाया गया था. ईसाई ये भी मानते हैं कि ईसा मसीह यहीं से एक बार फिर आएंगे. ईसाइयों ने कई दफा यहूदियों के मंदिर को तोड़ गिराया. 35 एकड़ के इस क्षेत्र पर कभी ईसाई तो कभी यहूदियों ने कब्जा कर लिया तो कभी मुस्लिम राजाओं का कब्जा हुआ. लड़ाई के बाद यहां सिर्फ अब एक दिवार बचा है. जिसे वेस्टर्न वॉल के नाम से जाना जाता है.

इसे यहूदियों के लिए प्रार्थना के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है. ऐसा कहा जा रहा है कि पहले मंदिर का निर्माण 3,000 साल पहले बाइबिल के राजा सोलोमन ने करवाया था. जब दूसरे विश्वयुद्ध के बाद साल 1948 में इजरायल बना. बाद में संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में पार्टीशन रिजोल्यूशन बना. मुस्लमानों और यहूदियों के लिए दायरा बनाया गया. हालांकि, इसके लिए मुस्लिम तैयार नहीं थे. अब यहूदी मस्जिद में प्रवेश तो कर सकते हैं पर पूजा-अचर्ना पर पाबंदी है.

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मुस्लिम -यहूदियों के बीच का समझौता

एक तीसरे देश जॉर्डन को हरम अल शरीफ या फिर टेंपल माउंट के प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी गई. साथ ही ये भी समझौता हुआ कि मुस्लिम यहूदियों को बाहर से उस टेंपल माउंट के दर्शन की इजाजत देंगे. हालांकि वो पूजा पाठ नहीं करेंगे. यही सिलसिला अब भी चला आ रहा है.

अल-अक्सा मस्जिद कैसे बनी इजरायल-फिलिस्तीनी तनाव का केंद्र बिंदु?

मस्जिद से जुड़े संघर्ष के कारण इजराइल और गाजा के बीच हमेशा तनाव पैदा होता रहा है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में, दोनों पक्षों के बीच झड़पों के कारण 10 दिनों तक चले युद्ध में 200 से अधिक फ़िलिस्तीनी और 10 इज़रायली मारे गए थे. इस साल अप्रैल में, इज़रायल के पुलिस अधिकारियों की फिलिस्तीनियों के साथ लड़ाई हो गई, जिसके कारण सीमा पार से गोलीबारी हुई. रॉयटर्स ने कहा कि 350 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किए जाने और परिसर से हटाए जाने के कुछ घंटों बाद झड़प की सूचना मिली. फ़िलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के प्रवक्ता नबील अबू रुदीनेह के हवाले से कहा गया, “अल-अक्सा मस्जिद में इज़राइल का हमला, उपासकों पर उसका हमला, हाल के अमेरिकी प्रयासों के लिए एक तमाचा है, जिसने रमज़ान के महीने के दौरान शांति और स्थिरता पैदा करने की कोशिश की थी.”

-भारत एक्सप्रेस

 

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