विश्लेषण

दिल्ली BJP में “गंभीर” समस्या: क्रिकेट मैदान ही नहीं पार्टी नेताओं से भी भिड़ जाते हैं सांसद महोदय, निर्मला सीतरमण की मौजूदगी भी कर दिया कांड

Gautam Gambhir: खेल के मैदान में गौतम गंभीर के एग्रेसिव बिहेवियर से सभी वाकिफ हैं. लेकिन, बतौर राजनेता उनकी पार्टी में भी उनके गुस्से और बद्तमिजियों की काफी चर्चा है. इसका साक्षात् उदाहरण बुधवार को उस वक्त देखने को मिला जब दिल्ली के ईस्ट आजाद नगर स्थित एक बैंक्वेट हॉल में बीजेपी ने पीएम मोदी के 9 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री और बीजेपी की वरिष्ठ नेता निर्मला सीतारमण भी पहुंची थीं. बतौर पूर्वी दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर भी इस कार्यक्रम का हिस्सा थे. लेकिन, इसी दौरान उनकी विश्वासनगर के विधायक ओपी शर्मा के साथ कहा- सुनी हो गई.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गौतम गंभीर और ओपी शर्मा के बीच बात हाथा-पाई और तू-तड़ाक के साथ देख लेने तक पहुंच गई. मामले में वरिष्ठ नेताओं को हस्तक्षेप तक करना पड़ा, तब जाकर दोनों पक्ष शांति हुए. हालांकि, इस घटना ने ओपी शर्मा और गंभीर के बीच चल रही तकरार को सबके सामने ला दिया.

कैसे विवाद खड़ा हुआ

ईस्ट आजाद नगर के बैंक्वेट हॉल में कार्यक्रम खत्म होने के बाद केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण एक कक्ष में पार्टी के पादाधिकारियों के साथ विचार-विमर्श करने चली गईं. इस दौरान गौतम गंभीर भी उनके साथ थे. इसी दौरान विश्वास नगर के विधायक ओपी शर्मा भी व्यापारिक संगठन से जुड़े चार लोगों को सीतारमण से मिलवाने पहुंच गए. लेकिन, सीढी पर ही सासंद गौतम गंभीर के पीए गौरव अरोड़ा ने उन्हें रोक लिया. यही से विधायक ओपी शर्मा और पीए में तकरार शुरू हो गई. तकरार का शोर सुन गौतम गंभीर भी वहां पहुंचे और नौबत फिर नोकझोंक वाली आ गई. जब सीतारमण चली गईं तो फिर से दोनों आपस में भिड़ गए और देख लेने की धमकी एक दूसरे को दी.

खुलकर बोलने को तैयार नहीं, लेकिन कार्रवाई की मांग

गौतम गंभीर के इस आचरण को लेकर पार्टी का एक खेमा लगातार लामबंद है. इनका आरोप है कि गंभीर आए दिन अनुशासन को चैलेंज करते हैं. ऐसे में अब जरूरी है कि ईस्ट आजाद नगर की घटना के बाद उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. भारत एक्सप्रेस ने बीजेपी के कुछ नेताओं से बात करने की कोशिश की. लेकिन, फिलहाल इस मुद्दे पर प्रत्यक्ष रूप से कोई बोलने को तैयार नहीं है.

लेकिन, दूसरे मीडिया रिपोर्ट्स में भी गंभीर के व्यवहार के खिलाफ लामबंदी देखने को मिल रही है. बीजेपी ने इस घटना पर पार्टी से तुरंत कार्रवाई की मांग की है. इसमें गौतम गंभीर के “एटिट्यूड” और “गुस्से” को बड़ी वजह बताया गया है.

ओपी शर्मा और गंभीर के बीच झगड़ा क्यों ?

विश्वास नगर के बीजेपी विधायक ओपी शर्मा और गंभीर के बीच इससे पहले भी कहासुनी हो चुकी है. अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी एक खबर में ओपी शर्मा ने गंभीर पर उनके साथ कई मर्तबा बद्तमीजी का आरोप लगाया है. ओपी शर्मा के मुताबिक गांधीनगर के एमएलए अनिल बाजपेयी के साथ भी उनकी तकरार हो चुकी है. एक अखबार ने लिखा है कि दोनों के बीच बुधवार को झगड़ा क्रेडिट को लेकर था. एक पक्ष यह सुनिश्चित करने में जुड़ा था कि निर्मला सीतारमण उनकी वजह से कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंची. जबकि, दूसरा भी इस पर अपना दावा ठोकने पर आमादा था.

क्या 2024 की राह गंभीर के लिए नहीं आसान?

ताजा हालातों को देखकर ऐसा लगताहै कि 2024 लोकसभा चुनाव के लिए गौतम गंभीर की चुनौतियां पार्टी के भीतर ही खड़ी होने वाली हैं. आज की तारीख में वह सांसद हैं. लेकिन, आगे चुनावी सफर उन्हें स्टेट यूनिट के सहयोग से ही लड़ना है. मगर स्टेट यूनिट के अधिकांश नेता उनके व्यवहार से खफा हैं. यहां तक कि इल्जाम लगाए जा रहे हैं कि उनके संसदीय क्षेत्र में शुरू होने वाली कई योजनाओं और बैठकों से वह गायब रहते हैं. यहां तक कि जब पिछले महीने पीएम मोदी तीन देशों की यात्रा के बाद स्वदेश लौटे तब तमाम नेता पालम एयरपोर्ट पर उन्हें रिसीव करने पहुंचे थे, लेकिन गंभीर वहां से भी नदारद थे.

हालांकि, गौतम गंभीर के समर्थकों का कहना है कि बीजेपी का एक धड़ा उन्हें बाहरी साबित करने पर तुला हुआ है. क्योंकि, उन्होंने डायरेक्ट अपनी इमेज के आधार पर लोकसभा का टिकट हासिल किया और 50 फीसदी से ज्यादा मत हासिल करके पूर्वी दिल्ली के सांसद बने. ऐसे में पार्टी के कई नेता उन्हें पसंद नहीं करते.

– भारत एक्सप्रेस

Amrit Tiwari

Editor (Digital)

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