जिमखाना क्लब
जिमखाना के सरकारी नुमाइंदों ने एक बार फिर केंद्र सरकार की फजीहत करा दी. जिमखाना के सदस्यों ने चालू वित्त वर्ष की सालाना रिपोर्ट और बेलेंस शीट को ख़ारिज कर दिया. आरोप है कि क्लब सचिव ने इसका नोटिस जारी करने में फर्जीवाड़ा किया था. हैरानी की बात है कि आम सभा की इस बैठक में क्लब के चेयरमैन मलय सिन्हा मौजूद ही नहीं थे. यही वजह रही कि अक्तूबर में बतौर निदेशक नियुक्त हुए मदन लाल मीणा ने बैठक की अध्यक्षता की. जिसे लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.
बीते साल की रिपोर्ट नहीं हुई स्वीकृत
बीते साल की तरह इस बार जिमखाना के सदस्यों ने सरकारी नुमाइंदों की वार्षिक रिपोर्ट और बेलेंस शीट को मंजूरी नहीं दी. बीते साल तत्कालीन प्रशासक ओम पाठक और सचिव जेपी सिंह ने 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट पेश की थी सदस्यों ने उसके नोटिस के समय ही विरोध शुरू कर दिया था. इस मामले में एनसीएलटी के समक्ष लगी याचिका का निपटारा करते हुए ट्रिब्यूनल ने आवेदक को एमसीए में प्रतिवेदन देने की सलाह दी थी. जिसके बाद दिए गए प्रतिवेदन के आधार पर एमसीए ने क्लब प्रबंधन को इस मामले की जांच कराने का आदेश भी दिया था. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. इस बार भी जब सरकारी प्रबंधकों ने पुरानी वार्षिक रिपोर्ट मंजूरी के लिए पेश की. जिसे यह बताकर स्थगित कर दिया गया कि सभा में कोरम ही पूरा नहीं था.
इस साल की रिपोर्ट पर भी उठे सवाल
चालू वित्त वर्ष की सालाना रिपोर्ट में ऑडिटर ने मार्च में हुए डेविस कप के संदर्भ में करार और शर्तों को लेकर सवाल उठाया. ऑडिटर के अनुसार क्लब रिकार्ड में इसका कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है. क्लब सदस्यों ने इसका आयोजन करने वाली संस्था ऑल इंडिया टेनिस एसोसिएशन से क्लब द्वारा खर्च करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए मांगे थे. लेकिन एसोसिएशन ने महज सवा छब्बीस लाख ही वापस दिए हैं. गौरतलब है कि इस टूर्नामेंट के नाम पर करीब दस करोड़ से ज्यादा की रकम स्पोंसरशिप के नाम पर जुटाई गई थी. इस मामले में तत्कालीन प्रशासक ओम पाठक ने विभिन्न विभागों को पत्र लिखकर स्पोंसरशिप के लिए पैसा माँगा था. लेकिन जिमखाना के सरकारी नुमाइंदों ने ऑडिटर की आपत्ति पर अपने जवाब में क्लब को हुए नुकसान की भरपाई के लिए कोई कार्य योजना पेश नहीं की बल्कि कहा कि इस मामले में कोई विवाद नहीं है और कारपोरेट कार्य मंत्रालय से बातचीत की जा रही है.
करोड़ों की हेराफेरी दबाने का भी आरोप
क्लब सदस्यों का आरोप है कि तत्कालीन प्रशासक ओम पाठक और सचिव जेपी सिंह के कार्यकाल वाली करीब 27 करोड़ के घाटे वाली बेलेंस शीट को स्वीकृत कराकर घोटाले रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है. डेविस कप घोटाले में तो इन दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग भी की गई. लेकिन वर्तमान निदेशक मंडल भी उन्हें बचाने की कोशिश कर रहा है.
लीगल फर्म को भुगतान पर आपत्ति
कोरोना काल से ही सरकारी प्रबंधन पर आरोप लग रहा था कि कानूनी लड़ाई के नाम पर क्लब का एक करोड़ रुपए से ज्यादा पैसा खर्च कर दिया गया. ऑडिटर ने भी कानूनी विवादों में लॉ फर्म द्वारा वसूल की गई राशि पर सवाल उठाए हैं. रिपोर्ट में आपत्ति लगाई गई है कि लॉ फर्म ने घंटों के हिसाब से पैसा वसूला है और क्लब ने इस मामले में घंटों की सीमा निर्धारित करने या निगरानी की भी कोशिश नहीं की. इतना ही आंतरिक बैठकों की एवज में भी लॉ फर्म ने पैसा वसूल किया है. सदस्यों का आरोप है कि क्लब के एक निदेशक अपनी खास कानूनी फर्मों को फायदा पहुँचाने के लिए उसे पहले से कई गुणा ज्यादा रकम का भुगतान करा रहे हैं.
ख़ारिज कर दी सरकारी रिपोर्ट !
यही वजह रही कि आज क्लब चेयरमैन मलय सिन्हा की अनुपस्थिति में हुए आम सभा की बैठक में पेश चालू वित्त वर्ष की बेलेंस शीट को भी 65 के मुकाबले 280 मतों से ख़ारिज कर दिया गया. हैरानी की बात है कि सदस्यों को यह भी नहीं बताया गया कि मलय सिन्हा वर्चुअल बैठक में भी शामिल क्यों नहीं हुए और हाल ही में नियुक्त हुए निदेशक मदन लाल मीणा ने किस हैसियत से बैठक की अध्यक्षता की. इस बारे में मीणा से बात करने का प्रयास भी किया गया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया.
क्लब सचिव पर हेराफेरी का आरोप
क्लब सदस्यों का आरोप है कि क्लब में अवैध तरीके से नियुक्त किए गए सचिव राजीव होरा ने आम सभा की बैठक का नोटिस जारी करते समय नियमों का उल्लंघन करने के साथ ही उसमे हेराफेरी की है. उन्होंने सदस्यों को जो नोटिस भेजा है वह 15 दिसंबर को तैयार हुआ था. लेकिन राजीव होरा ने 10 दिसंबर में ही उस पर हस्ताक्षर कर दिए थे. सवाल यह है कि जब नोटिस बना ही 15 दिसंबर को था तो पांच दिन पहले उस पर हस्ताक्षर कैसे किए जा सकते हैं.
-भारत एक्सप्रेस