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केदारनाथ हादसा: नागरिक विमानन महानिदेशालय और निजी चार्टर कम्पनियाँ

केदारनाथ हादसा: नागरिक विमानन महानिदेशालय और निजी चार्टर कम्पनियाँ

डीजीसीए की लापरवाही उजागर

बीते मंगलवार केदारनाथ धाम पर हुए हेलीकाप्टर हादसे ने एक बार फ़िर से भारत सरकार के नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) और कुछ निजी एयर चार्टर कम्पनियों की साँठगाँठ के चलते लापरवाही को उजागर किया है. खबरों की मानें तो इस हेलीकाप्टर को उड़ाने वाले पायलट कैप्टन अनिल सिंह को पहाड़ी इलाक़े में उड़ान भरने का कोई अनुभव नहीं था. उन्होंने सितम्बर 2022 में ही इस निजी कम्पनी के साथ पहाड़ी इलाक़े में हेलीकाप्टर उड़ाना शुरू किया था. सवाल उठता है कि जिस पायलट ने बीते 15 सालों तक तटीय इलाक़ों में हेलीकाप्टर उड़ाया हो वो अचानक पहाड़ी इलाक़ों में उड़ान भरने के लिए पूरी तरह प्रशिक्षित भी था या नहीं? क्या केदारनाथ में निजी चार्टर सेवा देने वाली कम्पनी ‘आर्यन एविएशन’ मुनाफ़े के लालच में नियमों की अनदेखी कर यात्रियों की जान जोखिम में डाल रही थी?

आए दिन यह देखा जाता है कि जब भी कोई विमान हादसा होता है या किसी एयरलाइन के कर्मचारी द्वारा कोई गलती होती है तो डीजीसीए उसकी जाँच कर दोषियों को सज़ा देती है. परंतु ऐसे कई मामले सामने आते हैं जहां बड़ी से बड़ी गलती करने वाले को डीजीसीए द्वारा केवल औपचारिकता करके कम सज़ा दी जाती है. फिर वो चाहे एक कोई नामी कमर्शियल एयरलाइन हो, किसी प्रदेश का नागरिक उड्डयन विभाग हो या कोई निजी चार्टर हवाई सेवा वाली कम्पनी. यदि डीजीसीए के अधिकारियों ने मन बना लिया है तो बड़ी से बड़ी गलती को भी नज़रंदाज़ कर दिया जाता है. कभी-कभी डीजीसीए के अधिकारी अपनी गलती छिपाने के लिए भी बेक़सूर को दोषी ठहरा कर उसे सज़ा दे देते हैं या मौसम की गलती बता देते हैं.

वहीं दूसरी ओर जब भी किसी ख़ास वजह से किसी बड़ी गलती वाले दोषी को सज़ा से बचाना होता है तब भी डीजीसीए के भ्रष्ट अधिकारी पीछे नहीं रहते. फिर वो चाहे ‘आर्यन एविएशन’ हो या कोई अन्य निजी एयरलाइन डीजीसीए के भ्रष्ट अधिकारी दोषी को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ते. ऐसा ही एक उदाहरण एक अन्य निजी चार्टर कम्पनी ‘ए आर एयरवेज़’ का है जिसके एक पाइलट ने सभी नियम और क़ानून की धज्जियाँ उड़ा कर अपने लिए कम से कम सज़ा तय करवाई और यह भी निश्चित कर लिया कि उसकी बड़ी से बड़ी गलती को भी नज़रंदाज़ कर दिया जाए. चूँकि यह निजी चार्टर सेवा देश के बड़े-बड़े नेताओं और प्रभावशाली व्यक्तियों को अपनी सेवा प्रदान करती रहती है इसलिए आरोप है कि वो अपने ख़िलाफ़ हर तरह की कार्यवाही को अपने ढंग से तोड़ मरोड़ कर खानापूर्ति करती रहती है.

इस निजी एयरलाइन के पाइलट कैप्टन एच एस विर्दी ने लगातार नियम और क़ानून तोड़ कर यह साबित कर दिया है कि वे चाहे कुछ भी करे उसे उसके पद से कोई नहीं हटा सकता. कैप्टन विर्दी के ख़िलाफ़ बी॰ए॰ टेस्ट (पायलट के नशे में होने का टेस्ट) के उल्लंघन से लेकर तमाम संगीन लापरवाहियों की लिखित शिकायत डीजीसीए को भेजी गई। जाँच के बाद उसे व उसके लाइसेन्स को 17 फ़रवरी 2022 को केवल 3 महीने के लिए ही निलंबित किया गया. जबकि इससे कम संगीन ग़लतियों पर डीजीसीए के अधिकारी एयरलाइन के कर्मचारियों को कड़ी से कड़ी सज़ा दे देते हैं. ऐसे दोहरे मापदंड क्यों? दिल्ली के कालचक्र समाचार ब्युरो ने डीजीसीए को लिखित शिकायत में इस बात के प्रमाण भी दिए कि कैप्टन विर्दी ने अपने रसूख़ के चलते निलंबन अवधि के दौरान ही 3 मार्च 2022 को अपना पीपीसी चेक भी करवा डाला. निलंबन अवधि में ऐसा करना ग़ैर-क़ानूनी है. ऐसा नहीं है कि डीजीसीए के उच्च अधिकारियों को इस बात का पता नहीं था. लेकिन रहस्यमयी कारणों से वे इस संगीन गलती को अनदेखा करने पर मजबूर थे.

इतना ही नहीं जब डीजीसीए के अधिकारियों को इस बात का एहसास हुआ तो डीजीसीए के इतिहास में पहली बार, कैप्टन विर्दी के निलंबन की तारीख़ को बदल दिया गया. शिकायत में आरोप है कि डीजीसीए के अधिकारियों द्वारा कैप्टन विर्दी के निलंबन की तारीख़ को एक सोची-समझी साज़िश के तहत 17 फ़रवरी 2022 से बदल कर 4 मार्च 2022 कर दिया. ऐसा इसलिए किया गया जिससे कि विर्दी द्वारा ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से किया गया पीपीसी चेक मान्य माना जाए. इस निर्णय से साफ़ ज़ाहिर होता है कि डीजीसीए में भ्रष्टाचार ने किस कदर अपने पाँव पसार लिए हैं. इसलिए यदि किसी भी पायलट की गलती पर पर्दा डाल कर उसे ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से उड़ान भरने की अनुमति दे दी जाती है तो केदारनाथ जैसे हादसे भविष्य में दोहराए जाएँगे.

ग़ौरतलब है कि डीजीसीए के इस कृत के ख़िलाफ़ 28 मई 2022 को एक और पत्र लिखा गया जिसमें नागरिक उड्डयन मंत्री, नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री, नागरिक उड्डयन सचिव, नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सतर्कता अधिकारी व केंद्रीय सतर्कता आयोग को डीजीसीए के अधिकारियों की इस गलती की जाँच करने की माँग की है.

सूत्रों के अनुसार मौजूदा महानिदेशक और उनके कुछ चुनिंदा अधिकारी डीजीसीए में बड़ी से बड़ी लापरवाही को मामूली सी गलती बता कर दोषियों को चेतावनी देकर छोड़ देते हैं. आँकड़ों की माने तो ऐसी लापरवाही के चलते हादसों में भी बढ़ोतरी हुई है. हादसे चाहे निजी एयरलाइन के कर्मचारियों द्वारा हो, निजी चार्टर कंपनी द्वारा हो, किसी ट्रेनिंग सेंटर में हो या फिर किसी राज्य सरकार के नागर विमानन विभाग द्वारा हो, यदि वो मामले तूल पकड़ते हैं तो ही दोषियों को कड़ी सज़ा मिलती है. वरना ऐसी घटनाओं को आमतौर पर छिपा दिया जाता है.

वीवीआईपी व जनता की सुरक्षा की दृष्टि से समय की माँग है कि नागर विमानन मंत्रालय के सतर्कता विभाग को कमर कस लेनी चाहिए और डीजीसीए में लंबित पड़ी पुरानी शिकायतों की जाँच कर यह देखना चाहिए कि किस अधिकारी से क्या चूक हुई। ऐसे कारणों की जाँच भी होनी चाहिए कि तय नियमों के तहत डीजीसीए के अधिकारियों ने दोषियों को नियमों के तहत तय सज़ा क्यों नहीं दी और एक ही तरह की गलती के लिए दोहरे मापदंड क्यों अपनाए?

-लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार हैं

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