दिल्ली पुलिस (फोटो फाइल)
Written By सुबोध जैन
राजधानी दिल्ली के सुपर कॉप कानून व्यवस्था संभालने के बजाए धन- उगाही में मशगूल हो गए हैं. कहीं SHO पर उगाही के आरोप लग रहे हैं तो कहीं उनके सरपरस्त, अपनी फ़टीक नहीं होने से आग-बबूला हैं. कुल मिलकर दिल्ली पुलिस में अजीब सा सर्कस चल रहा है. शायद यही वजह है कि महकमे ने चार SHO को उनके पदों से हटा दिया है. भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता से जूझ रही दिल्ली पुलिस निरंकुश होती जा रही है. कहीं गंभीर मामलों में आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हो रही तो कहीं अवैध निर्माण के मामलों में दखल देकर मोटी कमाई का खेल चल रहा है.
हैरानी की बात यह है कि ऐसे मामलों पर अंकुश लगाने के लिए जिम्मेदार कई अफसर भी कार्रवाई करने के बजाए इसलिए नाराज हैं कि उगाहीबाज मातहत उनकी फटीक में कोताही बरतते हैं. महकमे में ऐसे हालात देखकर कई आला अधिकारी भी मानने लगे हैं कि कमजोर नेतृत्व के कारण विभाग में अजीब सा सर्कस शुरू चल रहा है. जहां ज्यादातर अफसर निरंकुश होकर अपने हिसाब से काम कर रहे हैं.
हटाए गए चार थानाध्यक्ष
दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को अलग-अलग थानों में तैनात चार थानाध्यक्षो को हटा दिया है. इनमें आदर्श नगर के थानाध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह जाखड़, इंस्पेक्टर इन्वेस्टिगेशन राजेंद्र सिंह और एक ASI कुलदीप सिंह शामिल हैं. इसी के साथ लक्ष्मी नगर के SHO रमेश प्रसाद सिंह, जामिया नगर के SHO महेश कुमार और आरके पुरम के SHO अरविन्द प्रताप का नाम शामिल है. हालांकि पुलिस मुख्यालय से जारी आदेश में आर के पुरम के SHO के तौर पर अरविन्द प्रताप की जगह राकेश कुमार का नाम लिखा गया है.
आदर्श नगर में था फर्जी मुकदमा दर्ज करने का मामला
अनुसार आदर्श नगर थाने में एक महिला की मृत्यु के मामले में कोताही बरतने के मामले में पुलिस ने गंभीर लापरवाही बरती थी. इस मामले में अदालत के आदेश के बाद पुलिस ने कार्रवाई की थी. शिकायत के बाद मामले की जांच हुए तो थानाध्यक्ष से लेकर इंस्पेक्टर इन्वेस्टिगेशन और जांच अधिकारी की भूमिका संदिग्ध पाई गई. इसी मामले में तीनों को ही सिक्योरिटी शाखा में स्थानांतरित करके विभागीय जांच के आदेश जारी किए गए हैं. DCP जितेंद्र मीणा कहते हैं कि यह कार्रवाई एक साल पुराने इसी मामले के संदर्भ में हुई है.
आर के पुरम में सट्टेबाजी से जुड़े हैं तार
18 जून को आर के पुरम थाना क्षेत्र में गोली मारकर दो बहनों की हत्या कर दी गई थी. पुलिस के अनुसार हत्यारे इन दोनों के भाई को मारने के लिए आए थे. आरोपियों और उनके भाई के बीच पैसे के लेनदेन का मामला बताया गया था. मगर हकीकत कुछ और ही थी. विभागीय सूत्रों की माने तो हमले में बचा व्यक्ति और हमलावर सट्टेबाजी के धंधे में लिप्त थे. इसी कारण उनमे अदावत चल रही थी. बताया यह भी जाता है कि इस जिले में बड़े पैमाने पर सट्टेबाज सक्रिय हैं.
जामिया नगर में अवैध निर्माण का खेल
गुरुवार को पुलिस मुख्यालय से जारी आदेश में जामिया नगर के SHO महेश कुमार को भी हटाकर दिल्ली पुलिस एकेडमी भेजा गया है. इस इलाके में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण और उगाही का खेल चलता है. जिसमे DCP स्तर के अधिकारियों पर भी आरोप लगते रहे हैं. ख़ास बात यह है कि अवैध निर्माण के मामलों में पुलिस की अदालत में भी किरकिरी होती रहती है. बहरहाल चर्चा है कि एक DCP चाहता था कि अवैध निर्माण के कुछ मामलों में कार्रवाई ना की जाए. क्योंकि ऐसा करने वाले उसके ख़ास लोग थे. जबकि इलाके में चल रहे अन्य अवैध निर्माणों में बीच SHO उन मामलों में रियायत बरतने के लिए तैयार नहीं था इसी कारण SHO और उस DCP में तकरार चल रही थी.
सूत्रों का कहना है कि जिला DCP भी SHO को हटाना चाहते थे. बताया यह भी जाता है कि हालात की नजाकत को ध्यान में रखकर SHO ने अपने सरपरस्त एक Spl CP से अपने ट्रांसफर की गुहार लगाई थी. यही कारण है कि SHO को हटाया तो गया मगर सिक्योरिटी या किसी बटालियन की जगह उसे दिल्ली पुलिस एकेडमी भेज दिया गया.
दिलचस्प है लक्ष्मी नगर का मामला
लक्ष्मी नगर से हटाकर तीसरी बटालियन भेजे गए SHO रमेश प्रसाद सिंह का मामला भी बड़ा दिलचस्प बताया जाता है. सूत्रों के अनुसार यह SHO एक Spl CP का खास था. इस कारण वह अन्य आला अफसरों को ज्यादा तवज्जो नहीं देता था. जिससे एक महिला IPS बेहद नाखुश थी. वह काफी समय से SHO को हटवाने की कोशिश भी कर रही थी. लेकिन मामला Spl CP से जुड़ा होने के कारण उसकी दाल नहीं गल पा रही थी. मगर चायनीज मांझे के मामले में पुलिस मुख्यालय की नाराजगी झेलने के बाद उस महिला IPS ने अपने मन की टीस बाहर निकालते हुए कह दिया कि उसे फ्री हैंड काम नहीं करने दिया जाता. बस फिर क्या था, गर्त में दबी फाइलें खंगाली गई और SHO को उसके पद से हटा दिया गया.