दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में आरोपी सलीम मलिक के खिलाफ आरोप तय करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है. जस्टिस अनीश दयाल ने सलीम की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ उन पर धारा 147, 148, 427, 435, 436, 450, 149 और 188 के तहत आरोप तय किए गए थे.
कोर्ट ने कहा कि इस कोर्ट द्वारा अपने पुनरीक्षण क्षेत्राधिकार में आरोप पर ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करके अभियुक्त को बरी करने का कोई भी निर्णय, उस चरण में जब ट्रायल चल रहा हो, अगर मलिक के खिलाफ कोई मामला अभी खत्म होने वाला है, तो यह निराधार होगा. अभियोजन पक्ष या बचाव पक्ष जिस साक्ष्य पर भरोसा करता है, उसे मुकदमे की कसौटी पर परखा जाएगा.
शोरूम में आग लगाने का आरोप
एक कार शोरूम में जनरल मैनेजर के तौर पर काम करने वाले एक व्यक्ति की शिकायत के आधार पर FIR दर्ज की गई थी. उसने आरोप लगाया कि मलिक उस भीड़ का हिस्सा था जिसने शोरूम को नुकसान पहुंचाया और उसमें आग लगा दी. मलिक ने अस्वीकार्य खुलासे, विलंबित और अविश्वसनीय गवाहों के बयानों और शोरूम में आगजनी और तोड़फोड़ के कथित अपराधों से उसे जोड़ने वाले ठोस सबूतों की कमी के आधार पर अपने खिलाफ आरोप तय करने को चुनौती दी.
ये भी पढ़ें: NGT ने यमुना के डूब क्षेत्र में अवैध रेत खनन पर उत्तरी दिल्ली और गाजियाबाद के DM से मांगा जवाब
अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए एक कांस्टेबल के बयान पर गौर किया, जिसमें प्रथमदृष्टया घटना स्थल पर या भीड़ के हिस्से के रूप में उसकी मौजूदगी की संभावना को पूरी तरह से खारिज नहीं किया गया था.
कांस्टेबल मुकेश के बयान के अनुसार, मंच पर याचिकाकर्ता की मौजूदगी स्पष्ट रूप से इंगित होती है. इससे यह भी संकेत मिलता है कि जब प्रदर्शनकारियों ने उन्हें घेर लिया, तो भीड़ में हाथापाई हुई, पुलिस कर्मियों को भागना पड़ा और शोरूम की घटना थोड़ी देर बाद हुई.
-भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.